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Short Moral Stories in Hindi for Class 1 - हिंदी कहानियाँ

Short Moral Stories in Hindi for Class 1 - हिंदी कहानियाँ

Short Moral Stories in Hindi for Class 1: क्या आपके बच्चे क्लास 1 के छात्र है. यदि हाँ और आप खोज रहे है उनको सुनाने के लिए Short Moral Stories तो आप सही जगह पर है. आज के इस पोस्ट में हमने Stories in Hindi लिखी है. जो की खास करके Class 1 के छात्र के लिए तैयार किया गया है. इस लिए आप इन Stories को अपने बच्चो को सुना सकते है.

यहाँ पर दी गई सभी कक्षा 1 के लिए हिंदी में लघु नैतिक कहानियाँ बहुत ही मजेदार है और बच्चो को बहुत पसंद आती है. इसके साथ ही बच्चे सीर्फ इन कहानियों को सुनके मजे ही नहीं वल्कि इन Moral Stories को पढ़के बहुत कुछ नया सीखते है.

जिससे उनको जीवन में आगे बढ़ने के लिए एक सही रास्ता देखने को मिलता है. आप बच्चो को इन सभी Stories in Hindi को सुलाने के वक्त (Bedtime Stories In Hindi Panchtantra) भी सुना सकते है.

Table of Contents

    1# खरगोश और कछुआ की कहानी – Short Moral Stories in Hindi for Class 1

    एक खरगोश और एक कछुआ था। एक बार उसने दौड़ लगाने का निश्चय किया। खरगोश बहुत तेज था। वह बहुत तेज दौड़ा तो कछुआ बहुत पीछे आ रहा था। जीत के स्थान पर पहुँचने से पहले खरगोश ने एक झपकी लेने की सोची।

    खरगोश सो गया। इस बीच, कछुआ सोते हुए खरगोश पर हावी हो जाता है। कछुआ जीतने वाले पोस्ट पर खरगोश से पहले पहुंच गया। जब खरगोश उठा तो वह बहुत दुखी हुआ।

    नैतिक शिक्षाधीमी और स्थिर दौड़ जीतती है

    2# नीला सियार की कहानी हिंदी में - The Blue Jackal Story in Hindi 

    The Blue Jackal Story: एक बार जंगल में बहुत तेज हवा चल रही थी। तेज हवा से बचने के लिए एक सियार एक पेड़ के नीचे खड़ा था तभी पेड़ की एक भारी शाखा आकर उसके ऊपर गिर गई।

    सियार के सिर में गहरी चोट लगी और वह डर के मारे अपनी मांद की ओर भागा। उस चोट का असर कई दिनों तक बना रहा और वह शिकार पर नहीं जा सका। भोजन के अभाव में सियार दिन-ब-दिन कमजोर होता जा रहा था।

    एक दिन वह बहुत भूखा था और अचानक उसने एक हिरण को देखा। सियार हिरण का शिकार करने के लिए काफी दूर तक उसके पीछे दौड़ा, लेकिन वह बहुत जल्दी थक गया और हिरण को मार नहीं सका।

    सियार दिन भर जंगल में भूखा-प्यासा भटकता रहा, लेकिन उसे कोई मरा हुआ जानवर नहीं मिला, जिससे वह अपना पेट भर सके। जंगल से निराश सियार ने गांव की ओर जाने का फैसला किया। सियार को उम्मीद थी कि उसे गांव में बकरी या मुर्गी का बच्चा मिलेगा, जिसे खाकर वह रात गुजारेगा।

    सियार गांव में अपने शिकार की तलाश कर रहा था, लेकिन तभी उसकी नजर कुत्तों के एक झुंड पर पड़ी, जो उसकी तरफ आ रहे थे। सियार को कुछ समझ नहीं आया और वह धोबी की बस्ती की ओर भागने लगा।

    कुत्ते लगातार भौंक रहे थे और सियार का पीछा कर रहे थे। जब सियार को कुछ समझ नहीं आया, तो वह जाकर धोबी के ड्रम में जा छिपा, जिसमें नील घुला हुआ था। सियार को न पाकर कुत्तों का झुंड चला गया।

    बेचारा सियार रात भर उस नील के ड्रम में छिपा रहा। सुबह-सुबह जब वह ड्रम से बाहर निकला तो उसने देखा कि उसका पूरा शरीर नीला पड़ गया है। सियार बहुत चालाक था, उसका रंग देखकर उसके मन में एक विचार आया और वह वापस जंगल में आ गया।

    जंगल में पहुंचकर उसने घोषणा की कि वह भगवान का संदेश देना चाहता है, इसलिए सभी जानवर एक जगह इकट्ठा हो गए। सियार की बात सुनने के लिए सभी जानवर एक बड़े पेड़ के नीचे इकट्ठे हो गए।

    सियार ने जानवरों की सभा से कहा, “क्या कभी किसी ने नीले रंग का जानवर देखा है? भगवान ने मुझे यह अनोखा रंग दिया है और कहा है कि आप जंगल पर राज करो। भगवान ने मुझसे कहा है कि यह आपकी जिम्मेदारी है कि आप जंगल के जानवरों का मार्गदर्शन करें।”

    सारे जानवर सियार की बात मान गए। सबने एक स्वर में कहा, “कहो महाराज, क्या आज्ञा है?” सियार ने कहा, “सब सियार जंगल से चले जाएं, क्योंकि भगवान ने कहा है कि सियारो के कारण इस जंगल में बहुत बड़ी विपदा आने वाली है।”

    नील सियार की बात को ईश्वर का आदेश मानकर वन के सभी पशुओं ने सियार को जंगल से खदेड़ दिया। नीले सियार ने ऐसा इसलिए किया क्योंकि अगर सियार जंगल में रहता तो उसका राज खुल सकता था।

    अब नीला सियार जंगल का राजा बन चुका था। मोर पंखा करते और बन्दर पैर दबाते। सियार अगर किसी जानवर को खाना चाहता था तो उसकी बलि मांगता था। अब सियार कहीं नहीं जाता था, हमेशा अपनी शाही मांद में बैठा रहता था और सारे जानवर उसकी सेवा में लगे रहते थे।

    एक दिन चाँदनी रात में सियार को प्यास लगी। जब वह मांद से बाहर आया, तो उसे दूर कहीं सियारों की आवाज सुनाई दी, जो बोल रहे थे।

    सियार रात के समय हू-हू की आवाज करते हैं, क्योंकि यह उनकी आदत है। नीला सियार भी अपने आप को रोक न सका। वह भी जोर-जोर से बोलने लगा। शोर सुनकर आसपास के सभी जानवर जाग गए।

    उन्होंने नीले सियार को हू-हू करते देखा, तब उन्हें एहसास हुआ कि यह एक सियार था और इसने हमें बेवकूफ बनाया। अब नीले सियार का राज खुल गया। यह जानकर सभी जानवर उस पर टूट पड़े और उसे मार डाला।

    नीले सियार की कहानी से हमें सीख मिलती है कि हमें कभी भी छल, कपट नहीं करना चाहिए क्योंकि झूठ और धूर्तता एक न एक दिन अवश्य पकड़ी जाएगी और उसका फल मिलना तय है। इसलिए कहा गया है कि जैसी करनी, वैसी भरनी.

    3# लकड़हारा और कुल्हाड़ी की कहानी – Short Moral Stories in Hindi for Class 1

    एक गांव में एक लकड़हारा रहता था, जो जंगल से लकड़ी काटकर बाजार में बेचकर पैसे कमाता था। एक दिन वह रोज की तरह जंगल में लकड़ी काटने गया और नदी के किनारे एक पेड़ से लकड़ी काटने लगा।

    अचानक कुल्हाड़ी उसके हाथ से छूटकर नदी में जा गिरी। इससे लकड़हारा बहुत दुखी हुआ और वह नदी में कुल्हाड़ी खोजने की कोशिश करने लगा। लेकिन उसे अपनी कुल्हाड़ी नदी में नहीं मिली। इस बात से लकड़हारा बहुत दुखी हुआ और वह नदी के किनारे बैठकर रोने लगा। जब वह नदी तट पर रो रहा था, तब लकड़हारे की आवाज सुनकर भगवान नदी से प्रकट हुए।

    भगवान ने लकड़हारे से पूछा कि तुम क्यों रो रहे हो, इस पर लकड़हारे ने आदि से अंत तक की सारी कहानी भगवान को बता दी। लकड़हारे की कहानी सुनकर प्रभु को उस पर दया आ गई और लकड़हारे की मेहनत देखकर उन्होंने उसकी मदद करने की योजना बनाई। इसके बाद भगवान जी नदी में अंतर्ध्यान हो गए और लकड़हारे को सोने की कुल्हाड़ी देते हुए कहा, यह रही तेरी कुल्हाड़ी।

    सुनहरी कुल्हाड़ी देखकर लकड़हारे ने कहा, हे भगवान, यह कुल्हाड़ी मेरी नहीं है, यह सुनकर भगवान फिर से नदी में गायब हो गए और इस बार चांदी की कुल्हाड़ी लकड़हारे को देते हुए कहा, “ये लोग तुम्हारी कुल्हाड़ी हैं, इस बार लकड़हारा भी।” उसने कहा कि यह कुल्हाड़ी भी मेरी नहीं है और मुझे केवल अपनी कुल्हाड़ी चाहिए। भगवान फिर नदी में अंतर्ध्यान हो गए, एक लोहे की कुल्हाड़ी निकाली और लकड़हारे को देते हुए कहा, यह रही तेरी कुल्हाड़ी।

    इस बार लकड़हारे के चेहरे पर मुस्कान थी, क्योंकि यह कुल्हाड़ी लकड़हारे की थी। उसने कहा यह मेरी कुल्हाड़ी है। भगवान ने लकड़हारे की ईमानदारी से प्रसन्न होकर सोने और चांदी की दोनों कुल्हाड़ियां उसी लकड़हारे को दे दीं। इससे लकड़हारा खुशी-खुशी अपने घर चला गया।

    कहानी से सीख: लकड़हारे की इस कहानी से हमे यह सीख मिलती है, हमें हमेशा अपनी ईमानदारी पर ही रहना चाहिए। क्योकिं जीवन में ईंमानदार व्यक्ति को कोई भी नहीं हरा सकता है।

    4# शेर और चूहा की कहानी – Short Moral Stories in Hindi for Class 1

    Hindi Short Stories With Pictures: एक बार की बात है एक जंगल में एक शेर राज करता था। एक दिन वह दोपहर में एक शिकार खाकर एक पेड़ के नीचे सो रहा था। तभी वहां एक चूहा आया। चूहे ने शेर को सोते हुए देखा तो उसे हंसी आई और वह शेर के ऊपर कूदने लगा। जिससे चूहे को काफी मजा आ रहा था।

    चूहे की इस हरकत से शेर की नींद खुल गई और वह गुस्से से दहाड़ा। उसने अपने एक पंजे से चूहे को पकड़ लिया। चूहे को पता चल गया था कि उसके कारण शेर की नींद टूट गई है और वह बहुत गुस्से में है। तभी चूहे ने शेर से अपनी जान बचाने की भीख मांगी और कहा कि मुझे छोड़ दो। जब भी आपको मेरी जरूरत होगी, मैं आपकी हर संभव मदद करूंगा।

    चूहे की यह बात सुनकर शेर हंसने लगा और बोला, चूहा तुम मेरी क्या मदद करोगे। शेर ने कहा कि मैंने अभी-अभी शिकार खाया है। जिससे मेरा पेट भरा है, इसलिए मैं तुझे जीवन देता हूं। यह कहकर शेर ने चूहे को छोड़ दिया। चूहा भी शेर को धन्यवाद कहकर वहां से चला गया।

    कुछ दिनों के बाद जब शेर जंगल में घूम रहा था तो कुछ शिकारी शेर का शिकार करने के लिए जंगल में आए। उन्होंने शेर को पकड़ने के लिए जाल बिछाया। शिकारियों द्वारा बिछाए गए जाल में शेर फंस गया। शेर को जाल में फँसा देखकर शिकारी उसे ले जाने के लिए एक पिंजरा वाली गाड़ी लेने गाँव गए।

    जाल में फंसा शेर जोर-जोर से दहाड़ने लगा। शेर की दहाड़ उसी चूहे और जंगल के अन्य जानवरों द्वारा भी सुनी गई थी। चूहे ने जंगल के अन्य जानवरों से कहा कि आओ और शेर की मदद करो। जब वह शेर के पास पहुंचा तो उसने देखा कि शेर जाल में फंसा हुआ है।

    केवल चूहा ही शेर को उस जाल से छुड़ा सका। चूहा उस जाल के ऊपर चढ़ गया और अपने तीखे दांतों से जाल को तेजी से काटने लगा। कुछ ही देर में उसने जाल काट दिया। जिससे शेर जाल से मुक्त हो गया। जाल से छूटने के बाद शेर ने चूहे को धन्यवाद दिया।

    इस पर चूहे ने शेर से कहा कि मैंने उस दिन आपको कहा था कि जब भी आपको मदद की जरूरत होगी। मैं आपकी हर संभव मदद करूंगा। लेकिन आपने मेरी बात को मजाक में लिया। शेर को याद आया कि चूहे ने क्या कहा था और अपनी बात पर शर्मिंदा हुआ।

    इसके बाद शेर ने चूहे से कहा कि आज से तुम मेरे दोस्त हो। जब भी आपको किसी मदद की जरूरत हो आप मुझे बुला सकते हैं। उसके बाद चूहे ने कहा ठीक है और वहां से जाने लगा तो शेर ने कहा कि क्या तुम आज मेरी पीठ पर कूदना पसंद नहीं करोगे।

    जब चूहे ने शेर से यह बात सुनी तो वह खुशी-खुशी शेर की पीठ पर चढ़ गया और उछलने लगा। वह शेर की पीठ पर कूद ही रहा था कि शिकारी शेर को लेने के लिए पिंजरे में बंद गाड़ी लेकर जंगल में आ पहुंचे। जब वह शेर के पास पहुंचा तो उसने शेर को जाल से मुक्त पाया। जिससे वह काफी डर गया था। इसके बाद शेर ने दहाड़ मार कर शिकारियों को भगा दिया।

    इस कहानी से हमें सीख मिलती है कि हमें किसी को कम नहीं आंकना चाहिए। कौन जाने कब और किस वक्त कौन हमारे काम आ जाए। जिस तरह शेर ने चूहे को छोटा समझकर उसका मजाक उड़ाया, लेकिन बाद में उसी छोटे चूहे ने शेर की जान बचा ली।

    5# बिल्ली बच गई कहानी– Short Moral Stories in Hindi for Class 1

    ढोलू-मोलू दो भाई थे। दोनों खूब खेलते थे, पढ़ते थे और कभी-कभी खूब मारपीट भी करते थे। एक दिन दोनों अपने घर के पीछे खेल रहे थे। एक कमरे में दो छोटे बिल्ली के बच्चे थे। बिल्ली की माँ कहीं गई हुई थी, दोनों बच्चे अकेले थे। वह भूखा था इसलिए बहुत रो रहा था। ढोलू-मोलू ने दोनों बिल्ली के बच्चों की आवाज सुनी और दादाजी को बुलाया।

    दादाजी ने देखा कि दोनों बिल्ली के बच्चे भूखे हैं। दादाजी ने उन दोनों बिल्ली के बच्चों को एक कटोरी दूध पिलाया। अब बिल्ली की भूख मिट गई थी। वे दोनों एक दूसरे के साथ खेलने लगे। यह देखकर ढोलू-मोलू ने कहा कि बिल्ली बच गई। दादाजी ने ढोलू-मोलू को बधाई दी।

    नैतिक शिक्षा: दूसरों की भलाई करने से ख़ुशी मिलती है।

    6# आलसी गधा की कहानी – Short Moral Stories in Hindi for Class 1

    एक व्यापारी के पास एक गधा था। वह गधे पर बाजार से माल ढोकर लाता था। एक दिन व्यापारी ने नमक के बड़े-बड़े बोरे गधे की पीठ पर लादे। इतने भारी बोझ से गधे का दम निकला जा रहा था।

    अचानक रास्ते में नदी के किनारे उसका पैर फिसला और वह नदी में जा गिरा। किसी तरह संभलकर वह उठा तो हैरान था, क्योंकि उसकी पीठ पर लदा भार अचानक हल्का हो गया था। दरअसल, नमक पानी में घुल गया था। अगले दिन फिर व्यापारी ने गधे की पीठ पर नमक के भारी बोरे लादे। गधा जब नदी पर पहुँचा तो जान-बूझकर फिसलकर पानी में जा गिरा।

    उसकी पीठ का भार फिर कम हो गया। गधे के मालिक ने देख लिया था कि आज गधा जान बूझकर फिसला है, इसलिए उसने गधे को सबक सिखाने की सोची। अगले दिन उसने गधे की पीठ पर रूई के बोरे लादे। नदी पर आकर गधा जैसे ही फिसलकर नदी में गया तो रूई ने पानी सोख लिया और भारी हो गई। गधे को अब अपने ऊपर पछतावा हो रहा था।

    नैतिक शिक्षा: हमें परिश्रम से जी नहीं चुराना चाहिए।

    7# घमंडी बारहसिंगा की कहानी – Short Moral Stories in Hindi for Class 1

    एक ज़माने में। एक घने जंगल में एक बारहसिंगा रहता था। उन्हें बहुत गर्व था। एक बार वह तालाब में पानी पी रहा था और पानी पीते समय उसने अपना प्रतिबिंब देखा। वह अपने सुंदर सींगों को देखकर बहुत खुश हुआ, लेकिन अपनी पतली टांगों को देखकर वह बहुत दुखी हुआ और वह भगवान को कोसने लगा।

    एक बार जंगल में कुछ शिकारी कुत्ते आए और वे हिरण के पीछे पड़ गए। यह देख वह डर गया और भाग खड़ा हुआ। उसके पतले पैर ही उसे दौड़ने में मदद कर रहे थे। दौड़ते समय अचानक उसके सींग शाखाओं के बीच फंस गए।

    उसने अपने सींग निकालने की बहुत कोशिश की, लेकिन वह अपने सींग नहीं निकाल सका। जिसके बाद उन शिकारियों ने उसे घायल कर दिया और वह मरने की हालत में हो गया। मरते समय वह सोचता रहा, “इन सुंदर सींगों ने मुझे मार डाला है और मेरे पतले पैर मुझे बचा सकते थे।”

    इस कहनी से सीख: कोई भी चीज़ अपने गुणों के कारण सुंदर होती है।

    8# बंदर और घंटी की कहानी – Short Moral Stories in Hindi for Class 1

    जंगल के किनारे एक गाँव बसा हुआ था। गाँव में चारों ओर समृद्धि थी और गाँव के लोग शांतिपूर्ण जीवन व्यतीत कर रहे थे। गांव वालों ने गांव के बीचोबीच एक मंदिर बना रखा था, जहां वे रोज पूजा करते थे। मंदिर के प्रवेश द्वार पर एक बड़ा सा घंटा लगा था। एक दिन एक चोर मंदिर की घंटी चुराकर जंगल की ओर भाग गया।

    वह जंगल में भाग रहा था, जिससे घंटी बज रही थी और उसकी आवाज दूर-दूर तक सुनाई दे रही थी। घंटी की आवाज जंगल में घूमते हुए बाघ के कानों तक भी पहुंची और वह उत्सुकतावश आवाज का पीछा करने लगा।

    गाँव से जंगल की ओर भागते समय चोर बहुत थका हुआ था। वह आराम करने के लिए एक पेड़ के नीचे बैठ गया। तभी शेर भी पीछा करता हुआ वहां पहुंच गया। चोर शेर का सामना नहीं कर सका और मारा गया। घंटी वहीं गिर गई।

    अगले दिन बंदरों का एक झुण्ड उस स्थान के पास से गुजरा। जब उसने उस घंटी को देखा तो उसे उठाकर अपने साथ ले गया। उन्हें घंटी की सुरीली आवाज बहुत दिलचस्प लगी और वे उसके साथ खेलने लगे।

    प्राय: बन्दर रात के समय इकट्ठे हो जाते थे और घण्टी बजाकर बजाते थे। रात के समय जंगल से आने वाली घंटी की आवाज के पीछे के कारण से अनजान ग्रामीणों को यह बड़ा अजीब लगा।

    एक दिन सबने तय किया कि रात में बजने वाली घंटी का रहस्य जानना है। उन्होंने गांव के युवक को तैयार कर जंगल में भेज दिया। जब युवक जंगल में गया तो उसने चोर का कंकाल देखा। वह गांव वापस आया और बताया कि जंगल में कोई भूत घूम रहा है, जो लोगों को मारता है और फिर घंटी बजाता है।

    गांव वालों ने बिना सोचे समझे उसकी बातों पर विश्वास कर लिया। यह बात पूरे गांव में जंगल में आग की तरह फैल गई। गांव में भय का माहौल व्याप्त हो गया। धीरे-धीरे गांव के लोग दूसरे गांवों की ओर पलायन करने लगे।

    जब राज्य के राजा को पता चला कि उनके राज्य के एक गाँव के लोग वहाँ से पलायन कर रहे हैं, तो उन्होंने पूरे राज्य में यह बात बता दी कि जो व्यक्ति जंगल में घूमने वाले भूत को भगाएगा और घंटी बजाएगा। ) आवाज बंद कर देगा, उसे उपयुक्त पुरस्कार दिया जाएगा।

    राजा की यह घोषणा उसी गांव में रहने वाली एक बुढ़िया ने भी सुनी। उनका मानना ​​था कि भूत महज अफवाह है। एक रात वह अकेली जंगल में गई। वहां उन्होंने बंदरों का एक समूह देखा, जो घंटियां बजाकर खेल रहे थे।

    बुढ़िया को रात में घंटी बजने की आवाज का राज पता चल गया था। वह वापस गांव आ गई। उस रात वह अपने घर आराम से सोई और अगले दिन राजा से मिलने गई।

    उसने राजा से कहा, “महाराज! मैं जंगल में भटक रही प्रेत आत्मा पर विजय प्राप्त कर सकता हूँ और उसे वहाँ से भगा सकता हूँ। उसकी बात सुनकर राजा बहुत खुश हुआ। बुढ़िया ने कहा, “महाराज! भूत को वश में करने के लिए पूजा का आयोजन करना होगा और उसके लिए मुझे कुछ पैसों की आवश्यकता होगी।”

    राजा ने बुढ़िया के लिए धन की व्यवस्था की, जिससे वह कुछ मूंगफली, चने और फल खरीद लाई। उन्होंने गांव में मंदिर परिसर में पूजा का आयोजन किया। उसने वहाँ घेरा बनाया और खाने का सारा सामान रख दिया और भगवान से प्रार्थना करने लगी। कुछ देर ऐसा करने के बाद उसने खाने का सारा सामान उठाया और जंगल में चली गई।

    जंगल में पहुंचकर उसने खाने का सारा सामान एक पेड़ के नीचे रख दिया और छिपकर बंदरों के आने का इंतजार करने लगी। कुछ देर बाद बंदरों का एक दल वहां आया। जब उन्होंने खाने की बहुत सारी सामग्री देखी तो घंटी को एक तरफ फेंक दिया और खाने के लिए दौड़ पड़े। बन्दर बड़े मजे से मूंगफली, चने और फल खा रहे थे।

    इतने में अवसर पाकर बुढ़िया ने घण्टा उठाया और राजा के महल में आ गई। घंटी राजा को सौंपते हुए बोली, “महाराज! वह दुष्ट आत्मा इस घंटी को छोड़कर जंगल से भाग गई है। ग्रामीणों को अब डरने की कोई बात नहीं है।

    बुढ़िया की वीरता से राजा बहुत प्रसन्न हुआ। उन्होंने उसे पुरस्कार देकर विदा किया। उस दिन के बाद से ग्रामीणों ने घंटी की आवाज कभी नहीं सुनी और वे फिर खुशी से रहने लगे।

    इस कहानी से सीख: बिना सोचे-समझे किसी भी निर्णय पर नहीं पहुँचना चाहिए. बुद्धिमानी से हर समस्या का समाधान निकाला जा सकता है.

    9# राजा और मूर्ख बंदर – Short Moral Stories in Hindi for Class 1

    बहुत समय पहले की बात है. एक राज्य में एक राजा का राज था. एक दिन उसके दरबार में एक मदारी एक बंदर लेकर आया. उसने राजा और सभी दरबारियों को बंदर का करतब दिखाकर प्रसन्न कर दिया. बंदर मदारी का हर हुक्म मनाता था. जैसा मदारी बोलता, बंदर वैसा ही करता था.

    वह आज्ञाकारी बंदर राजा को भा गया. उसने अच्छी कीमत देकर मदारी से वह बंदर ख़रीद लिया. कुछ दिन राजा के साथ रहने के बाद बंदर उससे अच्छी तरह हिल-मिल गया. वह राजा की हर बात मानता. वह राजा के कक्ष में ही रहता और उसकी सेवा करता था. राजा भी बंदर की स्वामिभक्ति देख बड़ा ख़ुश था.

    वह अपनी सैनिकों और संतरियों से भी अधिक बंदर पर विश्वास करने लगा और उसे महत्व देने लगा. सैनिकों को यह बात बुरी लगती थी, किंतु वे राजा के समक्ष कुछ कह नहीं पाते थे.

    एक दोपहर की बात है. राजा अपने शयनकक्ष में आराम कर रहा था. बंदर पास ही खड़ा पंखा झल रहा था. कुछ देर में राजा गहरी नींद में सो गया. बंदर वहीं खड़े-खड़े पंखा झलता रहा.

    तभी कहीं से एक मक्खी आई और राजा की छाती पर बैठ गई. बंदर की दृष्टि जब मक्खी पर पड़ी, तो उसने पंखा हिलाकर उसे हटाने का प्रयास किया. मक्खी उड़ गई. किंतु कुछ देर पश्चात पुनः वापस आकर राजा की छाती पर बैठ गई.

    पुनः मक्खी को आया देख बंदर अत्यंत क्रोधित हो गया. उसने आव देखा न ताव और पास ही पड़ी राजा की तलवार उठाकर पूरी शक्ति से मक्खी पर प्रहार कर दिया. मक्खी तो उड़ गई. किंतु तलवार के जोरदार प्रहार से राजा की छाती दो टुकड़े हो गई और राजा के प्राण-पखेरू उड़ गए.

    इस काहनी से सीख: मूर्ख मित्र से अधिक बुद्धिमान शत्रु को तरजीह दी जानी चाहिए.

    10# जापानी नेवला की कहानी – Short Moral Stories in Hindi for Class 1

    जापान में एक बहुत ही खूबसूरत जगह है- नारुमी। एक नदी के किनारे एक नेवला रहता था। यह नेवला नदी के उस पार जाकर जंगल के जानवरों को परेशान करता था। वह सभी को प्रताड़ित भी करता था। किसी को चोट लग जाती थी तो वह प्यार से मरहम लगाने वाले को दे देते थे।

    लेकिन यह मरहम नींबू के रस और काली मिर्च से बना था। इससे मरहम लगाने वाले को अधिक दर्द होता था। नेवले को यह सब देखकर और भी आनन्द आता था। एक दिन उसने खरगोश के साथ भी ऐसा ही किया। खरगोश ने उसी दिन सोचा कि वह दुष्ट नेवले को जरूर सबक सिखाएगा।

    और एक दिन खरगोश ने एक बढ़िया तरकीब सोची। उसने दो टोकरियाँ लीं, एक बड़ी और एक छोटी। उसने बड़ी टोकरी के तल पर तारकोल रखा। खरगोश दोनों टोकरियों को लेकर नेवले के पास पहुंचा और उससे बोला, ‘आओ, पहाड़ी के ऊपर चलते हैं। बड़े मीठे आम का झाड़ होता है। वहां से आम लाऊंगा।

    लालची नेवले ने तुरंत बड़ी टोकरी उससे ले ली। खरगोश यही चाहता था। पहाड़ी के ऊपर जाकर दोनों ने आमों की टोकरियाँ भरीं। बड़ी टोकरी भारी हो गई। नेवले ने टोकरी को नीचे रख दिया क्योंकि वह भारी थी।

    टोकरी का निचला भाग तारकोल से ढका हुआ था। तभी टोकरी जमीन से चिपक गई। नेवला आमों से भरी टोकरी को छोड़ना नहीं चाहता था। अत: उसने अपनी पूरी शक्ति लगाकर टोकरी को उठा लिया। इससे उसके पंजे छिल गए।

    ख़रगोश ने उसने कहा, ‘दोस्त, तुम्हें दर्द हो रहा होगा। ये लो दवा लगा लो।’ नेवले ने जब दवा लगाई तो दर्द से चिल्लाने लगा। असल में यह वही नींबू और काली मिर्च का मरहम था, जो नेवला सबको दिया करता था।

    नेवला परेशान होकर नदी की ओर भागा। वह नदी पार करके जल्दी अपने घर पहुँचना चाहता था। नदी के किनारे पर दो नावें खड़ी हुई थीं। एक पुरानी थी और एक नई चमचमाती हुई। वह तुरंत नई नाव में बैठ गया। इस नाव में एक छेद था। नाव डूबने लगी। नेवला किसी तरह नदी पार करके दूसरे किनारे तक पहुँचा। उसके छिले हुए पंजों पर मिर्च का जो मरहम था, उसका दर्द अभी तक हो रहा था। ऊपर से पानी में भीगने के कारण ज़ख्म और ज़्यादा दर्द कर रहे थे।

    उस दिन नेवले को इस बात का अनुभव हुआ कि उसकी हरकतों से दूसरे जानवरों को कितनी तकलीफ़ होती होगी। उस दिन से उसने कान पकड़ लिए कि वह कभी किसी को नहीं सताएगा।

    नैतिक शिक्षा: ऐसा काम कदापि न करें जिससे दूसरों को कष्ट हो।

    निष्कर्ष (Hindi Stories)

    बच्चो के लिए Short Moral Stories in Hindi for Class 1 बहुत ही मजेदार होती है. यदि आप इस Stories in Hindi कहानी को अपने बच्चो को सुनाते है तो वे बहुत ही खुस हो जाते है. इसके साथ ही उनको बहुत कुछ सीखने को भी मिल जाता है.

    हमे उम्मीद है की ,यह Moral Stories पसंद आई होगी. यदि ये Moral Kahaniyaa से आपको कुछ सिखने को मिला है या यह Stories उपयोगी है तो इसे सोशल मीडिया में शेयर जरुर करे.

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    लेखक के बारे में

    सूरज बढ़ई

    लिक्स्कार्ट डॉट कॉम में सीनियर डिजिटल कंटेंट प्रोड्यूसर और संस्थापक हैं। खुद की ब्लॉग से करियर की शुरुआत हुई।

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