5 Facts of Nataraj Pen: हम सभी ने कभी न कभी नटराज पेन (Nataraj Pen) का इस्तेमाल किया है। स्कूल की कॉपी के आखिरी पन्नों पर ढेरों डिजाइन बनाते हुए, एग्जाम के दौरान जल्दी-जल्दी लिखते हुए या दोस्तों के साथ पेन एक्सचेंज करते हुए—नटराज पेन हमारी बचपन की यादों का हिस्सा रहा है।
लेकिन क्या आप जानते हैं कि इस साधारण दिखने वाले पेन से जुड़े कुछ ऐसे रोचक तथ्य (interesting facts) हैं जो बहुत कम लोगों को पता हैं? आइए जानते हैं नटराज पेन के 5 अनसुने फैक्ट्स।
1. पहली बार पेंसिल कंपनी ने बनाया था पेन
नटराज पेन बनाने वाली कंपनी हिंदुस्तान पेंसिल्स लिमिटेड (Hindustan Pencils Ltd.) असल में पेंसिल (pencil) बनाने के लिए मशहूर थी। 1970 के दशक में जब बॉलपॉइंट पेन (ballpoint pen) का चलन बढ़ा, तब इस कंपनी ने पहली बार पेन बनाना शुरू किया। यह उनका पहला बड़ा प्रयास था और यह बेहद सफल साबित हुआ।
आप सोच सकते हैं कि एक पेंसिल कंपनी पेन क्यों बनाएगी? दरअसल, भारतीय बाजार में उस समय एक ऐसे पेन की जरूरत थी जो सस्ता हो, टिकाऊ हो और आसानी से लिखा जा सके। और यहीं से नटराज पेन की शुरुआत हुई।
2. नटराज पेन का पहला मॉडल अब नहीं मिलता
क्या आपको याद है कि जब पुराने जमाने के पेन थोड़े भारी और मजबूत हुआ करते थे? नटराज का सबसे पहला पेन मॉडल (first model), जो 1970 के दशक में लॉन्च हुआ था, अब बाजार में नहीं मिलता। शुरुआती मॉडल की बॉडी मोटे प्लास्टिक (plastic) से बनी होती थी और इसका डिज़ाइन (design) आज के पेन से काफी अलग था। यह पुराने समय के पेन की तरह मजबूत और टिकाऊ था।
समय के साथ, ग्राहकों की जरूरतें (customer needs) बदल गईं और नटराज को भी अपने डिजाइन और क्वालिटी (quality) में सुधार करने की जरूरत महसूस हुई। इसलिए पुराने मॉडल को धीरे-धीरे नए और हल्के डिज़ाइन में बदला गया। आज नटराज पेन पहले से अधिक स्टाइलिश (stylish) और हल्के हो चुके हैं।
3. इसे "भारत का बजट पेन" कहा जाता था
80 और 90 के दशक में जब महंगे पेन ब्रांड्स (expensive pen brands) का चलन बढ़ रहा था, तब नटराज पेन एक सस्ता और बढ़िया विकल्प बना। इसकी कम कीमत (low price) और अच्छी क्वालिटी के कारण इसे "भारत का बजट पेन" (India’s budget pen) कहा जाने लगा। यह आम जनता (common people) के लिए सबसे सुलभ लेखन साधनों (affordable writing tools) में से एक था।
स्कूल के दिनों में जब जेब खर्च (pocket money) सीमित होता था, तब नटराज पेन खरीदना सबसे समझदारी भरा फैसला होता था। यह सिर्फ पेन नहीं था, यह हमारे हर एग्जाम, हर नोट्स और हर असाइनमेंट (assignment) का साथी था।
4. सरकारी स्कूलों में सबसे ज्यादा इस्तेमाल हुआ
भारत के सरकारी स्कूलों (government schools) में लाखों छात्रों ने अपनी पहली लिखावट नटराज पेन से ही सीखी। यह टिकाऊ था, स्मूद (smooth) लिखता था और जल्दी खराब नहीं होता था, इसलिए इसे स्कूलों में खूब पसंद किया गया। शिक्षकों (teachers) ने भी इस पेन को पसंद किया क्योंकि यह न केवल किफायती था, बल्कि लिखने में भी आरामदायक (comfortable) था।
शायद आपको याद हो, जब टीचर गुस्से में बोर्ड पर जल्दी-जल्दी लिखती थीं, तो उनका पेन अक्सर नटराज ही होता था! यह सरकारी स्कूलों में सिर्फ छात्रों का ही नहीं, बल्कि शिक्षकों का भी पसंदीदा पेन था।
5. नटराज पेन विदेशों में भी बिकता है
हालांकि यह भारत में सबसे ज्यादा लोकप्रिय (popular) है, लेकिन अब इसे नेपाल, बांग्लादेश, श्रीलंका, अफ्रीकी देशों और मिडिल ईस्ट (Nepal, Bangladesh, Sri Lanka, African countries, Middle East) में भी एक्सपोर्ट (export) किया जाता है।
यह भारतीय स्टेशनरी प्रोडक्ट्स (Indian stationery products) की पहचान बढ़ाने में मदद कर रहा है। कई देशों में इसे भारतीय गुणवत्ता (Indian quality) के प्रतीक के रूप में देखा जाता है।
अब सोचिए, जो पेन बचपन में हमारी कॉपी के आखिरी पन्नों पर अनगिनत डिजाइन बनाने में काम आता था, वही अब दुनियाभर के लोगों के हाथों में पहुंच चुका है। यह सिर्फ एक पेन नहीं, बल्कि भारतीय गुणवत्ता और कारीगरी (Indian craftsmanship) का भी प्रतीक बन चुका है।
निष्कर्ष
नटराज पेन सिर्फ एक पेन नहीं, बल्कि यादों और भरोसे का प्रतीक (symbol of memories and trust) बन चुका है। यह लाखों लोगों की जिंदगी (lives of millions) का हिस्सा रहा है और आज भी इसकी लोकप्रियता बनी हुई है। जब भी हम नटराज पेन उठाते हैं, यह हमें बचपन की याद दिलाता है—क्लासरूम की शरारतें, नोटबुक के कोनों पर बनी स्केचिंग और एग्जाम की घबराहट।
अगली बार जब आप नटराज पेन से लिखें, तो इन रोचक फैक्ट्स (interesting facts) को याद करें और इस पेन की खासियत को सराहें!