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Lalchi Bahu | लालची बहू |Story of Greedy Daughter-in-Law

Lalchi Bahu | लालची बहू |Story of Greedy Daughter-in-Law

Lalchi Bahu: आज के इस पोस्ट में हमने New Moral Stories in Hindi जो Lalchi Bahu ki kahani के नाम से बहुत ही प्रशीद्ध है, इसके बारे में लिखा है. आप इस कहानी को बच्चो को या अपने परिवार को सुना सकते है.

जिससे घर के सदस्य और बच्चे Lalchi Bahu ki kahani से बहुत कुछ सीख सकते है और अपने जीवन को सही तरीके से जीने की एक अच्छी शिक्षा ले सकते है.

इस New Moral Stories in Hindi को हमने बहुत ही विस्तार से लिखा है, जिसको पढ़ने में बहुत ही मजा आता है और बच्चे Lalchi Bahu ki kahani की कहानी को सुनते हुए अच्छी अच्छी बाते सीख सकते है. जो उनकी आगे के जीवन में बहुत काम आएगा.

तो आइए अब देर न करते हुए बच्चो में सबसे प्रचलित कहानी Lalchi Bahu ki kahani को पढ़ते है और आज कुछ नया सीखते है

Table of Contents

    लालची बहू | Lalchi Bahu ki kahani | Story of Greedy Daughter-in-Law

    एक बार की बात है, एक छोटे से शहर में एक परिवार रहता था। जिसमें रमेश और उसकी मां बेहद खुशी से जीवन व्यतीत कर रहे थे। रमेश ऑटो चलाता था और उससे जो भी आमदनी होती थी, माँ-बेटा खुशी-खुशी उससे गुजारा करते थे।

    एक दिन उसकी मौसी रमेश के घर आई, उसने रमेश की माँ से रमेश की शादी के बारे में बात की। जिसे सुनकर मां बहुत खुश हो गईं। अब रमेश के लिए एक अच्छी लड़की की तलाश शुरू होती है। कुछ ही दिनों में रमेश की मौसी को रूपा नाम की एक लड़की मिली।

    जो देखने में बेहद खूबसूरत थी। रमेश को भी रूपा बहुत पसंद आई और दोनों ने शादी कर ली। शादी के बाद कुछ दिन बेहद खुशी से बीते। लेकिन रमेश और उसकी माँ को रूपा के बारे में यह नहीं पता था कि रूपा कितनी लालची लड़की है।

    रूपा ने शादी के कुछ दिनों बाद ही अपने रंग दिखाना शुरू कर दिया था। वह महीने में कई बार किटी पार्टी जैसे सोमराह में जाने लगी। जिसके लिए रूपा हर पार्टी में नए कपड़े और कीमती जेवर पहनती थीं. जब रूपा के नए गहने और कपड़े खत्म हो जाते थे, तब रूपा अपने पति की कमाई से नए कपड़े और गहने खरीद लेती थी।

    जिससे रमेश के घर में झगड़ा शुरू हो गया था। कई बार ऐसा होता कि महीने का राशन लाने के लिए जो भी पैसे होते थे, उन पैसो से रूपा अपने लिए कपड़े और गहने खरीद लेती थी।

    एक दिन रमेश ने कहा, “रूपा, अपने नए कपड़े और गहने खरीदने में इतना पैसा बर्बाद करने का क्या फायदा है। आपको सोचना चाहिए कि आपके पति की इतनी कमाई नहीं है कि आप एक महीने में 10 बार किटी पार्टी में जाने के लिए नए नए आभुसन खरीद कर खर्च कर सकें”.

    यह सुनकर रूपा गुस्से से लाल हो गई और रमेश से कहने लगी, “तुम हमेशा मुझसे कहते रहते हो कभी भी तुम ज्यादा कमाने के बारे में नहीं सोचते. यदि तुम ज्यदा ऑटो रिक्सा चलाते तो ज्यादा कमाई होती और आज में आराम से नए नए कपड़े पहन सकती”.

    यह कहकर रूपा अपनी सास के पास जाती है और कहती है, “माजी, जो गहने आपके पास हैं, मुझे दे दो, मैं इसे पहन कर पार्टी में जाऊंगी”। रमेश की मां ने पूरी बात सुनने के बाद कहा कि ”पुराने जमाने में सभी बहुएं अपने जेवर सास को देती थीं.

    लेकिन तुम मुझसे गहने मांग रही हो।” रूपा ने कहा, “तुम गहनों का क्या करोगी, मुझे दे दो”। अंत में रमेश की माँ ने भी अपने सारे गहने रूपा को दे दिए और रूपा उन गहनों को पहन कर किटी पार्टी में चली गईं।

    इधर, रूपा के जाने के कुछ देर बाद ही घर में रमेश की मौसी आ गई। उसने रमेश की मां से रूपा के बारे में पूछा तो मां ने रूपा के बारे में सारी बातें बताईं। यह सुनकर मौसी ने रूपा को सबक सिखाने की सोची। रूपा की सास भी इस खेल में शामिल हो गईं।

    रमेश की चाची घर का सारा राशन और सामान अपने घर ले गईं और थोड़ी देर में अपने सारे गहने और नए कपड़े ले आईं, गहने और कपड़े लाकर उन चीजों को घर की अलमारी में और कुछ को रसोई में रख दिया और अपने घर जाने लगी. जाते समय रूपा की सास से कहा कि, ”जब रूपा घर आएगी तो यह जेवर देखकर वह तुमसे कुछ पूछेगी, तुम उसका अच्छे से उत्तर देना”।

    उसके कुछ ही समय बाद रूपा किटी पार्टी से घर आई और अपनी अलमारी में सभी नए गहने देखकर बहुत खुश हुई। लेकिन शाम को जब रूपा रसोई में खाना बनाने गई तो उन्हें फिर से रासन के डिब्बे में नए गहने मिले। जिसे पा के रूपा की खुशी का कोई ठिकाना नहीं था।

    लेकिन जब रूपा ने किचन में रासन की तलाश की तो उसे कुछ नहीं मिला। जिससे वह परेशान हो गई और अपनी सास के पास गई और पूछा कि ”मांजी किचन का रासन कहां गया.” तब सास ने कहा कि “बहू आपको गहने और कपड़े सबसे ज्यादा पसंद हैं, इसलिए आज मैंने घर का सारा रासन और सामान बेचकर आपके लिए नए गहने और कपड़े खरीदे लाइ हु। अब आप इसे पहन सकती हो और पार्टी में जा सकती हो।

    यह सुनकर रूपा ने कहा कि “ठीक है मगर खाने के बिना मै गहनों और कपड़ों का क्या करूंगी”, तो सास ने फिर जवाब दिया कि “अब खाना खाने की क्या जरुरत, तुम्हें अपनी सबसे प्यारी चीज मिल गई है, तुम्हें इसमें खुशी होनी चाहिए। “

    यह सुनकर रूपा को अपनी हरकत पर पछतावा होने लगा, तभी रमेश की मौसी भी आ गई। उन्होंने यह भी कहा कि यह सब मैंने आपको समझाने के लिए किया है कि केवल नए कपड़े और आभूषण जरूरी नहीं हैं। इसके अलावा दुनिया में भी बहुत कुछ होता है। और अगर आपको नए गहने और कपड़े पहनने का इतना शौक है, तो आप खुद क्यों नहीं कमाते और उस पैसे से ये सारी चीजें खरीद लेते हैं।

    सारी बातें सुनने के बाद, रूपा को अब सब कुछ समझ में आ गया और अब से उसने फिर कभी ऐसा नहीं किया और अपने पति के कमाए हुए पैसे में खुशी-खुशी रहने लगी।

    लालची बहू की कहानी से शिक्षा | Lalchi Bahu ki kahani With Moral

    Lalchi Bahu ki kahani से हमें यह शिक्षा मिलती है की हमें कभी भी फिजूल की खर्चे नहीं करनी चाहिए. इसके साथ ही हमें जो जरुरी चीजे है उसमे ज्यादा ध्यान देना चाहिए.

    पहले के जामाने के लोग कह गए है की जितनी बड़ी चादर है उतना ही पाँव फैलाना चाहिए. यानि जितनी कमाई है उतना ही खर्च करनी चाहिए. इससे ज्यादा करेंगे तो वह हमारे लिए नुकसान ही होगा.

    निष्कर्ष

    Lalchi Bahu Ki Kahani से परिवार के सदस्य के साथ साथ बच्चे भी बहुत ही महत्वपूर्ण बाते जान सकते है. यदि आप इस Lalchi Bahu Ki Kahani कहानी को अपने परिवार के सदस्य और बच्चो को सुनाते है तो उन्हें आगे जीवन में कभी भी लालच न करने की और लालच करने से क्या होता है? इसकी सिख मिलती है.

    हमे उम्मीद है की यह Lalchi Bahu Ki Kahani पसंद आई होगी. यदि ये Moral Kahaniyaa से आपको कुछ सिखने को मिला है या यह Small Moral Stories in Hindi उपयोगी है तो इसे सोशल मीडिया में शेयर जरुर करे.

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    लेखक के बारे में

    सूरज बढ़ई

    लिक्स्कार्ट डॉट कॉम में सीनियर डिजिटल कंटेंट प्रोड्यूसर और संस्थापक हैं। खुद की ब्लॉग से करियर की शुरुआत हुई।

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