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Jaadui Juta Ki Kahani| जानिए इस जादुई जूता की अद्भुद कहानी

Jaadui Juta Ki Kahani| जानिए इस जादुई जूता की अद्भुद कहानी

Jaadui Juta : मैंने आपके लिए एक बहुत ही अद्भुत और मजेदार कहानी तैयार की है, आपको इस कहानी में बहुत मज़ा आने वाला है, क्योंकि इस कहानी में हम Jaadui Juta के रहषमय बातें बताने जा रहे हैं। जी हां, हम किसी साधारण जूते की बात नहीं कर रहे यह एक मायावी जूता हैं।

इसके साथ ही बता दें कि यह कहानी छोटे बच्चों के लिए विशेष रूप से तैयार की गई है, जिससे बच्चों को भी इस Jaadui Juta की कहानी का आनंद मिलेगा और उन्हें कई बुद्धि मिल सकती है, जिससे वे बच्चे स्मार्ट और साहसी व्यक्ति बन सकेंगे। अगर आपके घर में कोई बच्चा है तो यह कहानी उन्हें जरूर सुनाए।

हम दावा करते हैं कि आपको यह कहानी पसंद आएगी, क्योंकि हम आपके मनोरंजन के लिए हर संभव प्रयास करते हैं। ताकि आप हमेशा हंसे और खुश रह सकें, तो चलिए देर ना करते हुए Jaadui Juta की कहानी में आगे बढ़ते हैं और जानते हैं Jaadui Juta आखिर क्या हैं.

Table of Contents

    जादुई जूता की कहानी | Story Of Magic Shoe In Hindi

    Jaadui Juta एक शहर में सीता नाम की एक बहुत ही प्यारी लड़की थी, सीता बहुत बुद्धिमान थी और वह अपने पैरों से अपाहिच थी। सीता रोज सपना देखती थी कि वह नाच रही है, दौड़ रही है। लेकिन जब वह उठती है तो उसे अपने अपाहिच होने की बहुत दुख होता है।

    सीता अपने माता-पिता की सभी बातों का पालन करती थीं, जैसे सब्जिया खाना, होम वर्क करना, पौधों को पानी देना आदि। इसलिए सीता अपने माता-पिता को बहुत प्रिय थीं, माता-पिता सीता को बहुत खुस रखना चाहते थे। इसलिए कभी सीता को समुद्र तट पर तो कभी पार्क में ले जाते हैं लेकिन सीता खुश नहीं थीं क्योंकि सीता का कोई दोस्त नहीं था।

    एक बार की बात है, सीता अपने स्कूल की कक्षा में बैठी थीं और उसका ध्यान बाहर के बच्चों पर था। उसने सपना देखा कि वह भी बिना किसी सहारे के उन बच्चों के साथ खेल रही है, तभी अचानक टीचर की आवाज आई और उन्होंने बोर्ड पर लिखा “Sports Day”।

    टीचर ने सभी बच्चों से कहा “कल स्कूल में “Sports Day” है, सभी बच्चों को भाग लेना है” और बच्चों में से एक ने कहा “सीता को छोड़कर सभी भाग लेंगे क्योंकि वह तो चल ही नहीं सकती” टीचर ने कहा, “बच्चे ऐसा नहीं बोलते, चलो सीता से क्षमा मांगो” और उस बच्चे ने सीता से माफ़ी मांगी और सीता ने उसे माफ़ कर दिया।

    स्कूल खत्म हो गया था और सीता उदास होकर स्कूल के बाहर एक पेड़ के सामने बैठ गई, आसपास कोई नहीं था। दुखी सीता फूट-फूट कर रोने लगी, तभी अचानक उसे एक आवाज सुनाई दी, वह इधर-उधर देखने लगी पर उसे कोई नजर नहीं आया।

    अचानक उसने महसूस किया कि सायद बेंच के नीचे से आवाज आ रही है, और वह नीचे झुक गयी और उसने देखा कि एक कबूतर बेंच के नीचे फंसा हुआ है। सीता ने कहा “तो तुम यहाँ हो, सायद तुम उस घोसले से गिर गए हो और यहा फस गए, चलो मैं तुम्हारी मदद कर देती हु”।

    सीता उस नन्हे कबूतर की मदद करने लगी, उसने उसे प्यार से उठाया और उसे बेंच पर रख दिया। और सीता ने कहा, “चलो अब तुम अपने घर जाओ।” यह सुनकर कबूतर अपने घोंसले में चला गया और कबूतर की माँ उसे देखकर बहुत खुश हुई।

    कुबुतर की माँ ने सीता से कहा, “धन्यवाद, तुम बहुत अच्छे हो, तुमने मरे और मेरी बच्ची की मदद की, मैं तुम्हें एक उपहार देना चाहती हूं।” इतना कहकर मम्मी कबूतर अपने घोंसले के अंदर चली जाती है और अंदर से एक सुनहरा जूता लेकर आती है। उन जूतों को देखकर सीता ने कहा, “लेकिन मैं इन जूतों का क्या करुँगी में तो अपहिच हु” मम्मी कबूतर ने कहा, “ये जूते मामूली जूते नहीं हैं, ये Jaadui Juta हैं।

    इन्हें पहनकर तुम चल सकोगी, दौड़ सकोगी और जो चाहो वह कर सकोगी, सीता बोली “सच में” सीता के पैरों में ये जादुई जूते पहनते ही, वह सच में चलने लगी. जिसे देख वह बहुत खुश हो गई. जूते पहनकर सीता अपने घर पहुंची उसके मम्मी, पापा पहली बार सीता को चलता देख चौक गए वह अपने आसू रोक नहीं पाए.

    सीता बोली “मैं अब चल सकती हूँ” और उसकी पापा ने पूछा “पर कैसे” सीता ने जवाब दिया इन जादुई जूतों के वाजह से मेने एक नन्हे कबूतर की मदद की तो उस कबूतर की माँ ने मुझे यह जादुई जूते तोफे में दी.

    अगले दिन सीता स्पोर्ट्स डे में भाग लेने के लिए गई तो सभी लोग सीता को देखकर चौक गए. सीता ने रेस में भाग लिया और जादुई जूतों के कारण वह जित गई.

    मम्मी कबूतर की जादुई तोफा जादुई जूते सीता के जिवन का सबसे बड़ा उपहार था. उसके बाद सीता कभी नहीं रुकी. वह भागती, नाचती वह भी बिना किसी के मदद से. अब सीता अक्सर मम्मी कबूतर और उसके बच्चे से मिलने आया करती हैं. सीतां ने कहा “आपके दिए हुए जादुई जूतों ने मरी जिंदिगी बदल दी. अब मैं बिना किसी के सहारे चल सकती हु.” अब सीता का हर सपना सच हो गया था और सीता खुसी खुसी अपना जीवन विताने लगी.

    जादुई गाड़ी की कहानी | Jaadui Gadi | Magic Car Stories

    Jaadui Juta कहानी से क्या सिख मिलती हैं | What Do You Learn From Jaadui Juta Story
    Jaadui Juta कहानी से यह सिख मिलती हैं की दूसरों की मदद करने से खुद की मदद होती है। यानी बच्चों, इस कहानी को पढ़कर आप उन सभी की मदद करें जिन्हें मदद की बहुत जरूरत है और किसी को मुसीबत में देखकर कभी नहीं भागना चाहिए, वल्कि उनका साथ देना चाहिए। जिससे भगवान आपके ऊपर खुस होंगे और आपकी सभी मनोकामना पुरी हो जाएगी.

    FAQs
    Q. जादुई जूता से क्या सिख मिलती हैं?
    Ans: जादुई जूता की कहानी से यह सिख मिलती हैं दूसरों की मदद करने से खुद की मदद होती है।

    Q. जादुई जूता सीता को किसने दिया?
    Ans: जादुई जूता सीता को एक कबूतर ने दिया.

    निष्कर्ष
    बच्चो के लिए Jaadui Juta की कहानी बहुत ही मजेदार होती है. यदि आप इस Jaadui Juta कहानी को अपने बच्चो को सुनाते है तो उन्हें आगे जीवन में एक सही दिशा मिलती है.

    हमे उम्मीद है की यह Jaadui Juta कहानी पसंद आई होगी. यदि ये Moral Kahaniyaa से आपको कुछ सिखने को मिला है या यह Small Moral Stories in Hindi उपयोगी है तो इसे सोशल मीडिया में शेयर जरुर करे.

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    Written by: Suraj Barai

    Works in the insurance industry but has 7+ years of experience in content writing. Occasionally makes videos for YouTube.

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