“तेनालीराम की चतुराई” एक प्रसिद्ध भारतीय लोक कथा है, जो हमें एक महान व्यक्ति, तेनालीराम, के बारे में सुनाती है। यह कहानी हमें तेनालीराम की अद्वितीय बुद्धिमता, चतुराई, और विवेकशीलता के प्रतीक बनाती है। तेनालीराम अकबर बादशाह के दरबार में मशहूर सलाहकार थे और अपने अद्वितीय तर्कशक्ति के कारण महाराजा के समर्थन का आनंद उठा सकते थे।
आइए जानते है “‘तेनालीराम की चतुराई’ पाठ का सारांश अपने शब्दों में लिखिए” इसके बारे में.
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‘तेनालीराम की चतुराई’ पाठ का सारांश अपने शब्दों में लिखिए
“तेनालीराम की चतुराई” एक कहानी है जो भारतीय लोक कथाओं में प्रसिद्ध है। यह कहानी महान तेनालीराम के बारे में है, जो अकबर बादशाह के दरबार में विशेष सलाहकार थे। तेनालीराम एक मान्य और बुद्धिमान व्यक्ति थे, जिनकी चतुराई और विचारशीलता के कारण उन्हें अपने समय के दौरान महाराजा अकबर के समर्थन का आनंद मिलता था।]
“तेनालीराम की चतुराई” पाठ का सारांश:
इस कहानी में, एक दिन अकबर ने एक सवाल पूछा जिसका उत्तर कोई भी दे नहीं सका। तेनालीराम को इस सवाल का समाधान ढूंढ़ने का मौका मिला। वह चिंतित हो गए, लेकिन बाद में उन्होंने एक चालाकी से अपना उत्तर प्रस्तुत किया। उन्होंने एक गुब्बारे को देखा जो हवा में ऊपर नीचे उड़ रहा था। तेनालीराम ने उस गुब्बारे को देखकर कहा कि उत्तर इस सवाल में है।
अकबर हैरान हो गए और पूछा कि कैसे? तेनालीराम ने उत्तर दिया कि गुब्बारा हवा में उड़ रहा है, जिससे हम देख सकते हैं कि हवा उड़ती है या नीचे गिरती है, लेकिन हम हवा को नहीं देख सकते। उसी तरह से, उत्तर भी उस सवाल में है, लेकिन हम उसे सीधे देख नहीं सकते। अकबर ने तेनालीराम की चतुराई की प्रशंसा की और उन्हें सम्मानित किया।
यह कहानी हमें दिखाती है कि चतुराई और तर्कशक्ति से हम समस्याओं का समाधान निकाल सकते हैं और किसी भी मुश्किल परिस्थिति में भी उच्चतम सम्मान प्राप्त कर सकते हैं। तेनालीराम की चतुराई और ताकत हमें यह सिखाती है कि एक चतुर व्यक्ति चाहे वह कितना भी साधारण दिखे, वह हमेशा अपार प्रतिभा का सामर्थ्य रखता है।'
“तेनालीराम की चतुराई” का सम्पूर्ण पाठ
“तेनालीराम की चतुराई” एक प्रसिद्ध कहानी है जो भारतीय लोक कथाओं में प्रमुख है। यह कहानी तेनालीराम के ज्ञान, चतुराई, और विचारशक्ति को दर्शाती है।
कहानी के अनुसार, तेनालीराम बहुत ही बुद्धिमान और मनोहारी व्यक्ति थे जो विभिन्न मुद्दों और समस्याओं का समाधान ढूंढने में निपुण थे। वे अकबर बादशाह के दरबार में अपनी चतुराई के लिए मशहूर थे।
एक दिन, अकबर ने तेनालीराम को एक अत्यंत मुश्किल सवाल पूछा ताकि उन्हें आश्चर्यचकित किया जा सके। अकबर चाहते थे कि कोई भी उत्तर नहीं दे सके और तेनालीराम को यह दिखा सकें कि उनकी चतुराई की किस्मत उनसे छेड़ने का उपाय नहीं है।
तेनालीराम ने गधे की एक मिट्टी की चट्टान ले आई और उसे दरबार के बाहर रख दिया। फिर उन्होंने अकबर को कहा कि यदि कोई व्यक्ति इस चट्टान को उठा सके तो वह अपने दरबार के महाराजा होने के पात्र होगा।
महीनों बित जाने के बाद एक दिन, अकबर ने फिर से चट्टान को उठाने का प्रयास किया और इस बार तेनालीराम ने देखा कि वह दरबार के द्वारपाल हैंडल पर अपने बालों को ढकवाने के लिए इस्तेमाल कर रहा था।
तेनालीराम ने अकबर से कहा, “महाराज, आपने अपनी चट्टान को उठा लिया है। आप ही तो दरबार के महाराजा हैं।”
यह सभी को बड़े ही हैरानी में डाल दिया गया था। अकबर चौंक गए और उन्होंने अपने गले में से बालों को हटा दिया। तेनालीराम की चतुराई ने अकबर को सत्य का आभास कराया और सबको हंसी आई।
“तेनालीराम की चतुराई” कहानी हमें यह सिखाती है कि चतुराई और तर्कशक्ति से हम समस्याओं का समाधान निकाल सकते हैं और अक्सर उन्हें समय पर ही मिल जाता है। यह हमें यह भी दिखाती है कि अक्लमंद दिखने वाले लोग भी चतुर हो सकते हैं और हमेशा हमारे साथी बन सकते हैं।
बच्चो के लिए ये कहानी बहुत ही मजेदार होती है. हमें उम्मीद है की यह “तेनालीराम की चतुराई’ पाठ का सारांश अपने शब्दों में लिखिए” पोस्ट पसंद आई होगी. यदि ये Moral Kahaniyaa से आपको कुछ सिखने को मिला है या यह उपयोगी है तो इसे सोशल मीडिया में शेयर जरूर करें.
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