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Kahani Jadui Kahani Jadui Kahani | पढ़िए आपकी मनपसंद जादुई कहानी

Kahani Jadui Kahani Jadui Kahani | पढ़िए आपकी मनपसंद जादुई कहानी

Kahani Jadui Kahani Jadui Kahani: आज के समय में कहानियां सुनना किसे पसंद नहीं होता है. अगर यह Jadui Kahani है तो बच्चों को ज्यादा खुशी मिलती है। क्योंकि ज्यादातर बच्चे जदुई कहानी सुनना बहुत पसंद करते हैं।

इसी बात को ध्यान में रखते हुए हमने ये (Kahani Jadui Kahani Jadui Kahani) कहानियां खास तौर पर तैयार की हैं, ताकि ये बच्चों को ढेर सारी खुशियां दे सकें। इतना ही नहीं, इन कहानियों से वे सही और गलत में फर्क भी कर सकते हैं। जी हां, ये सभी कहानियां (Kahani Jadui Kahani Jadui Kahani) न केवल आपके बच्चों का मनोरंजन करेंगी बल्कि उनकी शिक्षा को भी बढ़ाएगी।

Table of Contents

    Kahani Jadui Kahani Jadui Kahani

    आज हमने नीचे लगभग 6 बेहद जबरदस्त जादुई कहानियां दी हैं। सभी को बहुत मज़ा आने वाला है। हमारा दावा है कि आपको ये सभी कहानियाँ बहुत पसंद आएंगी। हम आपको और इंतजार नहीं करवाएंगे और कहानी में आगे बढ़ेंगे और जानेंगे कि Kahani Jadui Kahani Jadui Kahani पढ़ने में हमें कितना मजा आता है।

    1# जादुई चक्की की कहानी – New Jadui Kahani

    एक बार की बात है, रामपुर नाम का एक गाँव था। उस गांव में अनिल और सुनील नाम के दो भाई रहते थे। बड़ा भाई अनिल बहुत अमीर था और छोटा भाई सुनील एक वक्त की रोटी भी कमा नहीं पाता था और वे दोनों भाई एक दूसरे से बहुत अलग रहते थे। सुनील भले ही गरीब था, लेकिन वह हर काम को ईमानदारी से करते थे।

    एक बार सुनील जंगल से आ रहा था, तभी एक बुजुर्ग व्यक्ति को देखा, वह अपना लकड़ी का भार ढो रहा था। उस बूढ़े को देखकर सुनील उसकी मदद के लिए उसके पास गया और उसका बोझ अपने सिर पर ले लिया, सुनील ने बोझ को सुरक्षित रूप से उसके घर पहुंचा दिया।

    सुनील की ईमानदारी देखकर बूढ़ा बहुत खुश हुआ और उसने उसे एक गुफा के बारे में बताया और कहा कि “तुम उस गुफा में जाओ, तुम्हें वहा चार आदमी मिलेंगे और उनके पास एक जादुई चक्की हैं, तुम्हे वह चक्की उनसे लेकर अपने घर चले जाना” सुनील कहा “मैं इस चक्की का क्या करूँगा, मुझे चक्की की कोई जरुरत नहीं हैं” सुनील बुजुर्ग की बात मानकर उस गुफा में चला गया.

    गुफा में जाने के बाद सुनील ने उनसे वह जादुई चक्की ली और उन्होंने सुनील को कहा “यह एक जादुई चक्की है, यह आपकी सभी परेशानियों को खत्म कर देगी, अगर आपको कुछ चाहिए तो इस चक्की को बताना यह आपकी सभी इच्छाओं को पूरा करेगी लेकिन एक बात का हमेशा याद रखें जब इस चक्की से माँगी हुई वस्तु मिल जाए तो उसे लाल कपड़े से ढँक दें, यदि आप ऐसा नहीं करते हैं तो यह चक्की आपके घर से गायब हो जाएगी।

    सुनील चक्की को अपने घर ले गया और चक्की को कहा की “चक्की चक्की मुझे नमक की जरुरत हैं” और चक्की ने नमक का ढेर लगा दिया. लेकिन अब भी उसे इस घटना पर विश्वास नहीं हो रहा था. तब इसी प्रकार सुनील दाल, चावल, तेल, साबुन आदि चीजे निकालने लगा।

    वह रोज घर के चीजों के आलावा बाकि जरुरत की वस्तुए निकलता रहा। अब वह कुछ ही दिनों में उसके पास ऐसो आराम की वह सारी चीजें आ गए। अब वह अपने पड़ोस में अपने गाँव में सबसे आमिर हो गया था यहाँ तक की सुनील अपने अनिल भाई से भी आमिर हो गया। अनिल सुनील की कामयाबी को देखकर हैरान हो गया।

    अनिल को शक हुआ की इसकी कामयाबी अचानक ऐसे कैसे हुयी। रोज वह सुनील के घर के बाहर जाकर देखता रहता की वह क्या करता है । एक दिन उसने चक्की को चलाते हुए देख लिया। और अपने भाई की कामयाबी का पता लगा लिया।

    और एक दिन रात को अनिल ने सुनील के घर से उस चक्की को चुरा लिया। और अपना घर बार छोड़ कर एक नाव खरीद लिया और अपने पुरे घर के जरुरत के सामान को लेकर नाव पर चढ़ गया। अनिल की पत्नी अपने मन में कब से कुछ कहने के लिए बेक़रार थी।

    अच्छा मौका देखकर उसने कहा की एक चक्की के लिए अपना पूरा घर बार छोड़ दिए ।अब वह पति पत्नी नाव ले कर आगे जाने लगे फिर भी उसकी पत्नी परेशान थी.

    आगे जाकर अनिल ने उसकी पत्नी को कुछ बताया अनिल ने कहा की तुम्हे एक उदहारण देता हूँ। अनिल ने चक्की पर से लाल कपड़ा निकाल कर कहा की चक्की चक्की नमक निकाल और नमक का ढेर लगा गया किन्तु अनिल को उसे रोकना नहीं आता था। नमक का ढेर बढ़ते गया और नाव ढूब गई। ऐसा कहते है वह चक्की अभी भी चल रही है तभी तो समुन्द्र का पानी खारा है।

    Jadui Kahani Jadu, इस कहानी से सीख: इस कहानी से यह सीख मिलती है कि किसी भी चीज का लालच नहीं करना चाहिए। क्योंकि लालच आपको पूर्ण विनाश की ओर ले जाता है, आपको इससे बाहर निकलने का मौका कभी नहीं मिलेगा। इसलिए बच्चों, जो है उसमें खुश रहना चाहिए और दुसरो की उन्नति देख जलना नहीं चाहिए.

    2# जादुई तालाब की कहानी – Kahani Kahani Jadui

    एक बार की बात है, एक गाँव में दो सोतोले बहनें रहती थीं सीता और गीता. सबसे बड़ी बहन सीता थी और छोटी बहन गीता थी। दोनों का आपस में मेल जोल इतना अच्छा नहीं था। गीता अपने बड़ी बहन के साथ कभी सोतेला वेबहर नहीं किया बल्कि वह अपनी बड़ी बहन का बहुत ही आदर और सम्मान करती हैं।

    लेकिन सीता सोचती थी कि उनकी छोटी बहन को उनसे जलन हो रही है और सीता इस गलत फेमि में गीता से नफरत करने लगीं और मौका मिलते ही उससे जगडा करने लगती थी. लेकिन गीता फिर भी सीता से कुछ नहीं कहती, एक दिन जब गीता सीमा से बाहर हो गई, तो गीता ने कहा “देखो सीता, तुम एक मात्र मेरी बड़ी बहन हो, तुम इस तरह का व्यहार मत करो, मैं तुमसे बहुत प्यार करती हूँ” तब सीता ने कहा “कौन सा बहन तुम मेरे सोतेली बहन हो, ये सब तुमारा नाटक हैं।

    यह सुनकर गीता को बहुत तकलीफ हुई और वह उदास होकर बाहर चली गई और सीता के बारे में सोचते हुए जंगल की ओर चली गई। अचानक कोई गीता को पुकारने लगा, उसे लगा कि शायद सीता मुझे बुला रही है। उसकी न सुनकर वह आगे बढ़ गई, उसके सामने एक बड़ा सा पेड़ दिखाई दिया तो वह उस पेड़ के सामने बैठ कर रोने लगी। तभी अचानक पेड़ ने कहा “मैं थोड़ी परेशानी में हूँ, क्या आप मेरी थोड़ी मदद कर सकते हैं”.

    गीता ने कहा, “हां, मैं आपकी मदद जरूर करूंगी।” पेड़ ने कहा, “बेटी में बूढ़ा हो गया हूं, मेरी जड़ें भी कमजोर हो गई हैं, इसलिए मैं जमीन से पानी नहीं खींच पा रहा हूं, क्या आप पास के तालाब से कुछ पानी ला कर मेरे ऊपर डाल दोगे” गीता ने कहा “जरुर मैं अभी जाती हु” गीता वहा से निकल कर तालाब के पास पानी लेने जाती है और देखती है कि वहाँ पहले से ही एक मटका रखा था।

    गीता उस घड़े में पानी लाती है और उसे पेड़ की जड़ों में डाल देती है, तो पेड़ ने कहा, “बहुत बहुत धन्यवाद बेटी, तुम बहुत अच्छी लड़की हो और तुम्हारा दिल बहुत शाफ हैं. गीता ने कहा “इसमें शुक्रिया कैसा, हमे जरूरतमंद लोगोकी मदद करनी चाहिए” पेड़ ने कहा बेटी तुम जिस तालाब से पानी ले कर आइ हो, मैं चाहता हूं कि तुम एक बार फिर से उस तालाब में जाओ और एक ढूपकी लगा कर आओ और अगर तालाब तुम्हें कोई उपहार देता है तो उसे स्वीकार कर लेना”

    गीता एक बार फिर से उस तालाब की ओर जाती हैं, तालाब पहुँच कर पानी में उतर जाती हैं और एक ढुपकी लगाती हैं. ढुपकी लगाते ही गीता के हात में एक सोने से भरा मटका आ जाता हैं. गीता सोचने लगी “लगता हैं इसी उपहार के बारे में बात कर रहे थे, पेड़ जी मुझे ये स्वीकार कर लेनी चाहिए”

    इतना कहकर गीता सोने से भरे उस घड़े को लेकर अपने घर की ओर जाने लगी। घर पहुंचकर गीता अपने माता-पिता को सोने से भरा घड़ा देती है और सारी बातें बताती है, यह देखकर सीता को जलन होने लगती है। माता-पिता के जाने के बाद सीता गीता के पास आती हैं और कहती हैं, “तुम्हें सोने से भरा वह घड़ा कहाँ से मिला” गीता ने कहा, “मैं इसे जंगल के पास के तालाब से लाई हूँ, लेकिन तुम मुझसे इतने सवाल क्यों पूछ रही हो”।

    सीता ने कहा “तुम अपने हिस्से का सोना लेकर समझते हो मैं अपना हिस्सा छोड़ दू, मैं अपनी हिस्से लेने वहा जाऊंगी” गीता ने कहा, “मैं जो सोना लाइ हूं वह तुम्हारा भी है और हमें सोना नहीं चाहिए” तब सीता ने कहा “तुम अपना राइ अपने पास रखो, मैं जाऊंगी” दूसरे दिन सीता तालाब की तलाश में निकल जाती है और जादुई तालाब के पास जाने लगती है।

    रास्ते में सीता को भी वह पेड़ आवाज देता हैं और पेड़ कहता हैं “बेटी ओ बेटी क्या तुम थोड़ी देर रुक सकती हो” सीता ने कहा “वाह बोलने वाला पेड़, ये तो कुछ नया लगता हैं, हां बोलो क्यों आवाज दे रहे हो” पेड़ ने वही सवाल सीता से भी पूछा और सीता ने कहा “शुबे-शुबे तुम्हे और कोई नहीं मिला अपनी बकवास बाते बोलने के लिए मैं एक जरूरी काम से जा रही हु, मुझे परेशान मत करो।

    पेड़ ने कहा “बेटी बस थोड़ा सा पानी ला दो” सीता गुस्सा हो गई और कहा “तु एसे नहीं मानोगा, रुक मैं तुझे अभी पानी पिलाता हु” यह बोल कर सीता पेड़ को परेशान करने लगी और वहा से चली गई. थोड़ी देर में वह तालाब के पास पहुँच जाती हैं.

    फिर सीता कहने लगी “हां एही वह तालाब हैं, जल्दी से उतर कर मैं एक ढुपकी लगाती हु” सीता तालाब में उतर कर एक ढुपकी लागाती हैं. ढुपकी लगाते ही सीता के पैर में एक सांप काट लेता हैं और वह चीखने लगती है. इधर सीता को न आता देख गीता बहुत परेशान हो रही थी.

    गीता सोच रही थी “इतनी देर हो गई अभी तक सीता वापास नहीं आई, कही सीता किसी संकट में तो नहीं पढ़ गई” और गीता उसे ढूंढे निकल पड़ी , गीता जा कर पेड़ से बोली “पेड़ जी क्या आप सीता को कही देखे हो. पेड़ ने कहा “हां सीता उस तालाब की ओर गई हैं”।

    पेड़ की बात सुन कर गीता तालाब की जाने लगी और वहा जा कर देखती हैं उसकी बड़ी बहन तालाब के पास[पढ़ी हैं वह सीता को बहुत उठाने की कोशिस करती है. लेकिन सीता नहीं उठी तब गीता वापस पेड़ की पास जाती हैं और उसे सारी बात बताती है.

    तब पेड़ ने कहा “तुम्हारे बहन को सांप ने काटा है, उसे बचाने का एकही उपाई हैं, मुझसे एक शाखा तोड़ लो और तुम्हारे बहन को जा कर छुओ वह ठीक हो जाएगी” गीता उस शाखा को लेकर सीता को छूआया और सीता ठीक हो गई।

    इसके बाद सीता ने छोटी बहन से कहा, “तुम न आती तो मैं आज जीवित न होती।” गीता ने कहा, “नहीं, मैंने पहले ही तुमसे कहा था कि हमें और धन नहीं चाहिए, लेकिन तुमने मेरी बात नहीं मानी और हट करके चले गई।” सीता ने कहा, “क्षमा करो गीता, आज के बाद मैं तुम्हारी हर बात मानूंगी।” यह कहकर सीता और गीता पेड़ के पास गई और पेड़ को धन्यवाद दिया और अपने घर वापस चली गई।

    Jadui Kahani Jadui Kahani, इस कहानी से सीख: Jaadui Talab की कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि हमारे पास जो है उसमें खुश रहना चाहिए। क्योंकि लालच के कारण आपकी जान भी जा सकती है, इसलिए बच्चो, यदि आपका कोई छोटा या बड़ा भाई-बहन है तो उसकी बात माननी चाहिए। क्योंकि वे कभी आपका बुरा नहीं चाहेंगे। इसलिए हमेशा बड़े या छोटे की बात माननी चाहिए.

    3# जादुई जूता की कहानी – Jadu Jadui Kahani 

    Jaadui Juta एक शहर में सीता नाम की एक बहुत ही प्यारी लड़की थी, सीता बहुत बुद्धिमान थी और वह अपने पैरों से अपाहिच थी। सीता रोज सपना देखती थी कि वह नाच रही है, दौड़ रही है। लेकिन जब वह उठती है तो उसे अपने अपाहिच होने की बहुत दुख होता है।

    सीता अपने माता-पिता की सभी बातों का पालन करती थीं, जैसे सब्जिया खाना, होम वर्क करना, पौधों को पानी देना आदि। इसलिए सीता अपने माता-पिता को बहुत प्रिय थीं, माता-पिता सीता को बहुत खुस रखना चाहते थे। इसलिए कभी सीता को समुद्र तट पर तो कभी पार्क में ले जाते हैं लेकिन सीता खुश नहीं थीं क्योंकि सीता का कोई दोस्त नहीं था।

    एक बार की बात है, सीता अपने स्कूल की कक्षा में बैठी थीं और उसका ध्यान बाहर के बच्चों पर था। उसने सपना देखा कि वह भी बिना किसी सहारे के उन बच्चों के साथ खेल रही है, तभी अचानक टीचर की आवाज आई और उन्होंने बोर्ड पर लिखा “Sports Day”।

    टीचर ने सभी बच्चों से कहा “कल स्कूल में “Sports Day” है, सभी बच्चों को भाग लेना है” और बच्चों में से एक ने कहा “सीता को छोड़कर सभी भाग लेंगे क्योंकि वह तो चल ही नहीं सकती” टीचर ने कहा, “बच्चे ऐसा नहीं बोलते, चलो सीता से क्षमा मांगो” और उस बच्चे ने सीता से माफ़ी मांगी और सीता ने उसे माफ़ कर दिया।

    स्कूल खत्म हो गया था और सीता उदास होकर स्कूल के बाहर एक पेड़ के सामने बैठ गई, आसपास कोई नहीं था। दुखी सीता फूट-फूट कर रोने लगी, तभी अचानक उसे एक आवाज सुनाई दी, वह इधर-उधर देखने लगी पर उसे कोई नजर नहीं आया।

    अचानक उसने महसूस किया कि सायद बेंच के नीचे से आवाज आ रही है, और वह नीचे झुक गयी और उसने देखा कि एक कबूतर बेंच के नीचे फंसा हुआ है। सीता ने कहा “तो तुम यहाँ हो, सायद तुम उस घोसले से गिर गए हो और यहा फस गए, चलो मैं तुम्हारी मदद कर देती हु”।

    सीता उस नन्हे कबूतर की मदद करने लगी, उसने उसे प्यार से उठाया और उसे बेंच पर रख दिया। और सीता ने कहा, “चलो अब तुम अपने घर जाओ।” यह सुनकर कबूतर अपने घोंसले में चला गया और कबूतर की माँ उसे देखकर बहुत खुश हुई।

    कुबुतर की माँ ने सीता से कहा, “धन्यवाद, तुम बहुत अच्छे हो, तुमने मरे और मेरी बच्ची की मदद की, मैं तुम्हें एक उपहार देना चाहती हूं।” इतना कहकर मम्मी कबूतर अपने घोंसले के अंदर चली जाती है और अंदर से एक सुनहरा जूता लेकर आती है। उन जूतों को देखकर सीता ने कहा, “लेकिन मैं इन जूतों का क्या करुँगी में तो अपहिच हु” मम्मी कबूतर ने कहा, “ये जूते मामूली जूते नहीं हैं, ये Jaadui Juta हैं।

    इन्हें पहनकर तुम चल सकोगी, दौड़ सकोगी और जो चाहो वह कर सकोगी, सीता बोली “सच में” सीता के पैरों में ये जादुई जूते पहनते ही, वह सच में चलने लगी. जिसे देख वह बहुत खुश हो गई. जूते पहनकर सीता अपने घर पहुंची उसके मम्मी, पापा पहली बार सीता को चलता देख चौक गए वह अपने आसू रोक नहीं पाए.

    सीता बोली “मैं अब चल सकती हूँ” और उसकी पापा ने पूछा “पर कैसे” सीता ने जवाब दिया इन जादुई जूतों के वाजह से मेने एक नन्हे कबूतर की मदद की तो उस कबूतर की माँ ने मुझे यह जादुई जूते तोफे में दी.

    अगले दिन सीता स्पोर्ट्स डे में भाग लेने के लिए गई तो सभी लोग सीता को देखकर चौक गए. सीता ने रेस में भाग लिया और जादुई जूतों के कारण वह जित गई.

    मम्मी कबूतर की जादुई तोफा जादुई जूते सीता के जिवन का सबसे बड़ा उपहार था. उसके बाद सीता कभी नहीं रुकी. वह भागती, नाचती वह भी बिना किसी के मदद से. अब सीता अक्सर मम्मी कबूतर और उसके बच्चे से मिलने आया करती हैं. सीतां ने कहा “आपके दिए हुए जादुई जूतों ने मरी जिंदिगी बदल दी. अब मैं बिना किसी के सहारे चल सकती हु.” अब सीता का हर सपना सच हो गया था और सीता खुसी खुसी अपना जीवन विताने लगी.

    Jadu Jadu Jadu Kahani, इस कहानी से सीख: Jaadui Juta कहानी से यह सिख मिलती हैं की दूसरों की मदद करने से खुद की मदद होती है। यानी बच्चों, इस कहानी को पढ़कर आप उन सभी की मदद करें जिन्हें मदद की बहुत जरूरत है और किसी को मुसीबत में देखकर कभी नहीं भागना चाहिए, वल्कि

    4# जादुई गाड़ी की कहानी – New Jadui Story

    एक गाँव में सरला नाम की एक ओरत अपने बेटे निरंजन के साथ एक छोटे से घर में रहती थी। वह दिन-रात काम करती थी और मुश्किल से मिलने वाले पैसों से अपना घर चलाती और अपने बेटे को भी पढ़ाती थी। निरंजन भी अपनी मां की मदद करता था और पढ़ाई भी करता था।

    निरंजन अपने स्कूल के सभी बच्चों में सबसे होशियार छात्र था। वह स्कूल में पूछे जाने वाले सभी सवालों के सही जवाब देता था। इसलिए उनके शिक्षक भी उनकी मदद करते थे। एक दिन निरंजन अपने दोस्तों के साथ खेल रहा था और उसी जगह एक आदमी खिलौने बेच रहा था।

    फिर सभी बच्चे उस खिलौना विक्रेता को देखते हैं और उसके पास जाते हैं। निरंजन भी अपने दोस्तों के साथ वहां जाता है। सभी खिलौनों में से उसे लाल रंग की कार पसंद आती है। फिर निरंजन ने खिलौना बेचने वाले से पूछा, “वह लाल कार कितने की है?”

    तभी खिलौना बेचने वाला कहता है कि “50 रुपए बेटा”। तब निरंजन सोचता है कि “कार देखने में बहुत अच्छी है और मुझे उस कार का रंग भी अच्छा लगता है। लेकिन मेरे पास पैसे नहीं हैं, माँ पहले से ही मुझे बहुत मेहनत से पढ़ा रही हैं। अब अगर मैं इस कार को खरीदना चाहता हूँ। इसके लिए मैं उनसे पैसे मांगूंगा और अगर उनके पास इतने पैसे नहीं हैं तो उन्हें पैसे न देने का दुख होगा।

    मैं बहुत अच्छी पढ़ाई करूंगा और एक बड़ी कार खरीदूंगा और अपनी मां की अच्छी देखभाल करूंगा।” अब कार को काफी देर तक देखने के बाद निरंजन वहां से निकल जाता है। रात में निरंजन उसी कार के बारे में सोचता रहता है और सो नहीं पाता है। तभी “निरंजन, निरंजन” की आवाज आती है।

    तो वह सोचता है कि उसकी माँ ने उसे बुलाया है, वह बिस्तर से उठकर अपनी माँ के पास जाता है और माँ से पूछता है “माँ तुमने मुझे बुलाया”। तब माँ कहती है कि “नहीं बेटा, शायद तुम्हें नींद में ऐसा लगा होगा”। निरंजन भी सोचता है कि वह उसका वहम होगा और वापस सो जाता है।

    कुछ देर बाद उसे फिर वही आवाज सुनाई देती है। लेकिन इस बार भी निरंजन वेहम सोचकर सो जाता हैं। लेकिन एक बार और सुनने पर वह नींद से जाग जाता है और देखता है कि उसके सामने लाल रंग की एक कार रखी हुई है। जिसे देखकर निरंजन कहता हैं कि ”मैंने सुबह इस कार को देखा, यह यहां कैसे आ गई.” और कार को अपने हाथों में ले लेता है।

    तभी कार बोलने लगती है की “निरंजन तुम्हे मैंने बुलाया था, तुम्हारी माँ ने नहीं”. यह सुनकर निरंजन ने कहा की “तुम बात भी कर सकते हो?” जवाब में जादुई गाड़ी कहता है “हाँ, में बात कर सकता हु, सुबह तुम मझे देख के पसंद आने पर भी पैसे न होने की वजह से और तुम्हारी माँ को तकलीफ ना देने के इरादे से तुमने मुझे नहीं खरीदा. इस लिए में ही तुम्हारे पास आ गया”.

    उस जादुई कार से बात करते हुए बहुत देर हो जाती है और निरंजन उसे बगल में रखकर सो जाता है। रात में देर से सोने के कारण निरंजन सुबह अपने स्कूल के लिए समय पर नहीं उठ पाता है। माँ निरंजन को यह कहकर उठाती है “निरंजन स्कूल के लिए देर हो रही है, बेटा उठजाव”।

    तभी निरंजन कहता है “माँ क्या स्कूल का समय हो गया, आज मैं बहुत देर तक सोया रहा” और बहुत जल्दी स्कूल के लिए तैयार हो जाता है। अब निरंजन पैदल ही जा रहा था, तो वह सोचता है कि “बहुत देर हो चुकी है, सभी बच्चे स्कूल पहुँच चुके होंगे। देर से गया तो टीचर डांटेगा। कास कोई मुझे स्कूल तक छोड़ देता.”

    तभी लाल रंग की वही जादुई गाड़ी उसके सामने आती है और कहती है कि “निरंजन आव में स्कूल छोड़ दूंगा”। “तुम छोटे हो, मुझे कैसे ले जाओगे?” निरंजन कहते हैं। फिर जादुई कार बड़ी कार बन जाती है, जिसे देखकर निरंजन चौक जाता है और कहता है कि “तुम बड़े भी बन सकते हो”।

    तभी जादुई कार कहती है कि “हाँ मैं बड़ा हो सकता हूँ और मैं कुछ भी कर सकता हूँ, अब मेरे साथ चलो। मैं तुम्हें स्कूल छोड़ दूँगा”। निरंजन जैसे ही कार में बैठता है, वह कार अपने आप हवा में उड़ने लगती है। जिसे देखकर निरंजन फिर कहते हैं कि ”तुम सच में जादुई कार हो”।

    और जब वह ऊपर से नीचे देखता है, तो सभी घर छोटे लगते हैं। अब कुछ ही देर में वह स्कूल पहुंच जाता है और कार जमीन पर आ जाती है। स्कूल पहुंचने के बाद निरंजन कार से कहता है कि ”शाम को भी तुम मुझे लेने आ जाओगे.” तो कार कहती है “ज़रूर, जब भी तुम मेरे बारे में सोचोगे मैं तुम्हारे सामने आ जाऊँगा”।

    अब निरंजन समय पर स्कूल पहुंचने पर खुश होता है। शाम को स्कूल के बाद निरंजन कार के बारे में सोचता है और कार उसे घर वापस छोड़ने आती है। जब वह कार में बैठकर हवा में जाता है तो सभी बच्चे उसे देखते रहते हैं। सभी बच्चे कहते हैं “सुपर कार, सुपर कार”।

    जब कार घर के सामने रुकती है तो निरंजन की मां घर के पास काम करती है। और निरंजन उसमें से उतरता है। उसकी मां यह देखकर दंग रह जाती है। “किसकी कार है यह निरंजन, यह किसी जादूइ कार लगती है? यह अपने आप हवा में उड़ रही है” माँ निरंजन से पूछती है।

    निरंजन फिर “हाँ, माँ” कहता है और उस जादुई कार की कहानी अपनी माँ को बताता है। और कहता है “माँ, मैं तुम्हें कार में बिठाऊँगा, चलो।” निरंजन अपनी माँ को एक जादुई कार में बिठाता है और घुमाने जाता है। इतना ही नहीं निरंजन किसी भी बीमार व्यक्ति को जादुई गाड़ी में गांव के अस्पताल ले जाता था।

    और जो दूर-दूर तक नहीं जा सकते थे, वे उन्हें भी वहीं ले जाते थे। ऐसे लोगों की मदद करते हुए निरंजन अपनी पढ़ाई भी करता था।

    एक दिन निरंजन कार में जाते हुए देखता है कि कुछ लोग एक जगह जमा हो गए हैं। जिसके बारे में जानने के लिए निरंजन उतरते हैं और सभी से पूछते हैं, ”क्या हुआ, सब यहां क्यों जमा हो गए हैं.”

    तभी भीड़ में से एक कहता है कि “निरंजन यहाँ एक बूढ़ी दादी बहुत बीमार है, उसे अस्पताल ले जाना है। आप जानते हैं कि अस्पताल कितनी दूर है। हम सब सोच रहे थे कि उसे कैसे ले जाया जाए। तभी आप समय में आ गए हैं”।

    निरंजन कहता है “ठीक है, हम उन्हें अस्पताल ले चलते हैं” और इस तरह निरंजन उस दादी को अस्पताल ले जाता है और इस वजह से वह स्कूल नहीं जा पाता है। वह घर वापस चला जाता है। घर जाने के बाद निरंजन अपने स्कूल न जाने के बारे में सोचता है।

    “मैं इस तरह सबकी मदद करने के कारण स्कूल नहीं जा पा रहा हूँ। मेरे गाँव में बहुत से लोगों को मदद की ज़रूरत है और मैं अच्छी तरह से पढ़ूँगा और अपनी माँ की अच्छी देखभाल करूँगा। लेकिन अगर मैं इसी तरह सभी की मदद करने में व्यस्त रहू, तो मैं स्कूल नहीं जा पाऊंगा और पढ़ाई नहीं कर पाऊंगा। इसलिए अगर मैं यह जादुई कार जमींदार को दे दूं तो वह सबकी मदद कर पाएगा और मैं भी स्कूल जा सकूंगा।” “सही समाधान है, ऐसे ही यह कार हर किसी की परेशानी में काम आ सकती है।”

    ऐसा सोचकर वह जमींदार के पास जाता है और कहता है, “प्रभु, मेरे पास एक जादुई कार है, मुझे स्कूल जाना है। इसलिए मैं सभी की ठीक से मदद नहीं कर पा रहा हूं। अगर आपके पास यह कार होगा तो आप समय पर सभी की मदद कर सकते हैं। ” इसलिए मैं इसे आपके पास छोड़ने आया हूं।”

    यह सुनकर जमींदार ने कहा, “निरंजन तुम सच में बहुत अच्छे हो, इसलिए तुम गाँव में सबका कल्याण सोचकर मेरे पास ले आए। मैं तुम्हारी सोच के अनुसार इसका सर्वोत्तम उपयोग करूंगा।” यह सुनकर निरंजन खुशी-खुशी गाड़ी छोड़कर अपने घर चला जाता है।

    अपने वादे के मुताबिक, मुश्किल समय में जमींदार अपने नौकरों के माध्यम से गांव में सभी की मदद करता है। कुछ दिनों के बाद अचानक गांव में सभी की तबीयत बिगड़ जाती है। हर कोई किसी न किसी बीमारी से ग्रसित था। तभी जमींदार सोचता है कि “इस समय सभी को एक कार की आवश्यकता होगी। अगर मैं सभी के अस्पताल जाने के लिए किराया लेता हूँ, तो मैं बहुत पैसा कमा सकता हूँ।”

    “इस समय सबकी तबीयत खराब होने पर मैं जो भी किराया कहूंगा, लोग उसे देने को तैयार होंगे। मैं उन्हें पैसे लेकर अस्पताल ले जाऊंगा।” अगले दिन से जमींदार पैसे लेकर ही लोगों को अस्पताल ले जाता था।

    जिसे देख गांव के लोग काफी दुखी हैं. लेकिन इमरजेंसी के चलते सभी जमींदार को पैसे देकर ही अस्पताल जाते थे. तभी जादुई गाड़ी को अहसास हुआ कि जमींदार अब गलत कर रहा है और जिससे गांव के लोग भी दुखी हो रहे हैं.

    इस वजह से वह जादुई कार फिर से छोटी हो जाती है। और जमींदार कुछ नहीं कर पाता है और दुखी भी हो जाता है कि अब वह कार से पैसे नहीं कमा पाएगा। कुछ दिनों के बाद जमींदार खुद बीमार हो जाता है और चलने-फिरने की स्थिति में नहीं होता है। अब कार का साइज छोटा होने के कारण उसे समझ नहीं आ रहा है कि अब अस्पताल कैसे जाए।

    उसी तरफ जाते समय निरंजन जमींदार को देखता है और उसके पास जाता है और बीमार जमींदार के नौकर से कहता है कि ”आप उन्हें कार में क्यों नहीं ले जाते.” तब नौकर कहता है कि ”वह गाड़ी कुछ दिन पहले ही छोटी हो गई है। इसलिए सारे गांववाले प्रभु के समान ही कस्ट कर रहे हैं।”

    यह सब सुनकर निरंजन को अचानक याद आता है कि ”जादूई गाड़ी ने उससे कहा था कि जब भी वह इसके बारे में सोचेगा तो जादू की गाड़ी आ जाएगी।” तभी निरंजन कार के बारे में सोचता है और उसके सामने जादुई कार आती है और निरंजन जमींदार को अस्पताल ले जाता है।

    जमींदार के ठीक होने के बाद, उसे अपनी गलती का एहसास होता है और सभी को निरंजन के साथ अपने पास इकट्ठा होने के लिए कहता है। सभी के एक जगह इकट्ठा हो जाने के बाद जमींदार निरंजन से कहता है कि ”तुमने मुझे यह जादुई गाड़ी गांव के लोगों की मदद के लिए दी थी, लेकिन मैंने इसका गलत इस्तेमाल किया. अब तुम न होते तो मैं स्वस्थ नहीं हो पाता.

    जब कठिनाई मुझ तक पहुंची, तो मुझे एहसास हुआ कि मैंने गलती की है। अब मैं ऐसा दोबारा कभी नहीं करूंगा।” ऐसे जमींदार ने अपनी सारी गलती सबके सामने स्वीकार कर ली और निरंजन की तारीफ की। तब से उसने कभी जादुई कार का गलत इस्तेमाल नहीं किया। निरंजन के इस अच्छे विचार से उसकी मां भी बहुत खुश हुई।

    Jadu Jadu Kahani, इस कहानी से सीख: इस Jaadui Gadi की कहानी से हमें यह शिक्षा मिलता है की हमें हमेशा लोगो की मदद करना चाहिए. यदि हम लोगो के बारे में अच्छा सोचेंगे और अच्छा करेंगे तो हमारे साथ भी अच्छा होगा. इसके साथ ही यदि हम लोगो के साथ बुरा करेंगे तो हमारे साथ भी बुरा ही होगा.

    जैसे जमींदार ने लोगो के साथ गलत किया तो उसके साथ भी गलत ही हुआ. इस लिए हमें कभी भी किसी के साथ बुरा नहीं करना चाहिए और हमेशा लोगो का मदद करना चाहिए.

    5# जादुई पंखा की कहानी – Kahani Jadu Jadu

    Jaadui Pankha कई साल पहले जयपुर नाम का एक गाँव हुआ करता था और उस गाँव में राम और शाम नाम के दो दोस्त रहते थे। दोनों पुराना सामान उठाकर बेचकर पैसे कमाते थे। राम बड़े चतुर दिमाग के थे लेकिन शाम दिल की बहुत अच्छा था।

    दोनों आए दिन रस्ते के किनारे मिलने वाले चीज़े उठाने के बाद, अगर कोई अच्छी चीज शाम को मिलती तो वह राम को दे देता था. राम उन सामानों को ले कर पुराने समान खरीदने वाले दुकान में बेच दिया करता था और रात होते ही दोनों किसी अच्छे होटल में खाना खाने जाया करते थे।

    राम बहुत सारा पैसा बेकार की चीजों में खर्च कर देता था और शाम अपने कमाए हुए पैसे को अपने पास रखते थे। लेकिन राम ने उसे तब तक घर नहीं जाने दिया जब तक कि वह सारा पैसा खाने पर खर्च नहीं कर देता और शाम इंतजार करता रहा कि वह घर कब जाएगा। जब राम का सारा धन समाप्त हो जाता है।

    तो शाम कहता हैं की “ राम अब बस हो गया चल अब घर जाते हैं, इतने मेहनत से कमाई पैसे को इस तरह खर्च कर रहा हैं, तुम्हे अपने बच्चो के बारे में कुछ सोचना चाहिए” तो राम कहता हैं “ किसी को किसीके बारे में सोचने की जरुरत नहीं हैं, सब वह भगवान ही देख लेंगे” यह सुन कर शाम को गुस्सा आया और वह उठ कर चला जाता हैं.

    एक बार जब राम को कूड़ेदान में एक पंखा मिला, तो शाम कहता है, “कृपया यह पंखा दे दो, मैं इसे ठीक करके इस्तेमाल करूंगा, घर में पत्नी और बच्चे बिना हवा के बहुत परेशान हो रहे हैं” राम ने कहा, “यह पंखा में तुम्हे क्यों दू ये मुझे मिला हैं में ही इसे बेचूंगा, शो रुपये देना हैं तो बोलो इसे दे दूंगा”

    शाम ने कहा, “आपने मुझसे कई बार पैसे लिए हैं, आप मुझे यह पंखा दे दो।” राम ने कहा, शो रुपये दे कर खरीद लो, शाम ने शो रुपये देकर राम से वह पंखा खरीद लिया और उस पंखे को शाम ने सर्विस दुकान में दिखाया, तो दुकान वाले ने कहा कि यह पूरी तरह से ठीक है, इसे ठीक करने की कोई आवश्यकता नहीं है। यह सुन कर शाम बहुत खुस हुआ.

    उस पंखे को घर लाकर टांग दिया और ठंडी हवा आने से शाम के बीबी और बच्चे बहुत खुश हुए और अचानक पंखे से पैसे निकलने लगे तो वे सब चौक गए और पंखे ने कहा “में एक जादुई पंखा हु, इसके द्वारा आप इस पैसे को अपने जैसे जरूरतमंद लोगों में बांटना, जितने दिन आप इन पैसे को जरूरतमंद लोगों में बटोगे उतने दिन में तुम्हारे साथ रहूंगी, उस दिन मैं तुम्हारे घर से जाऊंगा जिस दिन आप यह काम बंद कर देंगे”।

    शाम कहा “ठीक है” यह कहकर सबने पंखे को प्रणाम करना शुरू किया, अगले दिन शाम आधा पैसा लेकर राम को दे दिया और कहा, “यह मत पूछो कि यह पैसा कैसे आया और मैं आपको क्यों दे रहा हूं, आप इस पैसे से एक अच्छा जीवन जी सकते हैं” यह कह कर शाम उधर से निकल गया।

    तब से हर दिन शाम पैसे गरीबों में बांटने लगा, बचे हुए पैसे को छिपाकर शाम एक बड़ा घर और कई गाड़िया ख़रीदा और जादुई पंखे को अपने नए घर ले गए। एक बार शाम को गांव में पैसे बांटते देख राम और उनकी पत्नी जलने लगे।

    राम के पत्नी ने कहा “तुम किसी काम के नहीं हो, अपने दोस्त को देखो, उसने कितना पैसा कमाया है, पैसे ज्यदा हो गया हैं. इसलिये कैसे पैसे बाट रहा हैं देखो. राम की पत्नी ने कहा “वह किया करके पैसे कमाया जी” राम ने कहा “मुझे भी समझमे नहीं आ रहा हैं।

    इसके पीछे का राज किया हैं, मुझे पता लगाना होगा” यह कहकर वह लोग शाम की घर के खिड़की से झाक कर देखने लेगे, तभी उन्होंने देखा की पंखे में से पैसे गिर रहा है.

    बस उसी रात दोनों ने पंखा चुराकर अपने घर ले जाकर अपने घर में पंखा लगवा दिया और कहा, ”जादू का पंखा, हमें भी पैसा दे दो” राम की पत्नी भी कहने लगी ”हां हां, जादुई पंखा हमें भी शाम की तरह समृद्ध बनाओ”

    लेकिन उस पंखे में से पैसे ना आने की कारण वह बहुत उदास हो गए. अचानक पंखा ने कहा की “में शिर्फ़ अच्छे लोगो को पैसे देता हु न की तुम्हारे जैसे लालची लागोको” यह कह कर जादुई पंखा गायब हो गया और कभी लोट के नहीं आया.

    Stories Jadui, इस कहानी से सीख: इस Jaadui Pankha कहानी से पता चलता है कि किसी के अच्छाई देखकर नहीं जलना चाहिए, क्योंकि यह अपने और दूसरों के घर

    6# जादूई बिस्तर की कहानी – New Jadui Kahaniya

    Jaadui Bed Ki Kahani: कई साल पहले की बात है, उदयपुर नाम के एक गांव में राजा बिक्रम सिंह का राज हुआ करता था। राजा बिक्रम सिंह का राज पाठ बहुत ही अच्छा चल रहा था। लेकिन केवल एक ही चिंता राजा को परेशान कर रही थी। क्योंकि राजा की कोई संतान नहीं थी, कई पूजा पाठ करने के बाद भी कुछ नहीं हुआ।

    राजा हर बार मुश्किल से मुश्किल यज्ञ करता था, लेकिन राजा की पत्नी माँ नहीं बन पाती थी। एक दिन एक ब्राह्मण राजा के दरबार में आया और राजा ने कहा, ”हम अपने दरबार में हर दरबारी का आदर और सम्मान करते हैं, इसलिए हम आपका तहे दिल से स्वागत करते हैं”।

    ब्राह्मण ने कहा ”मेरा सम्मान करने के लिए धन्यवाद महाराज” राजा ने कहा “ ये ब्राह्मण आप कहा से आए हैं और आपका नाम क्या हैं” ब्राह्मण ने कहा “महाराज, मेरा नाम शंकर है और मैं केलाश से आया हूं, मुझे आपकी समस्या के बारे में पता चला और मैं आपकी मदद करने आया” यह सुन राजा बहुत खुश हुए और ब्राह्मण को लाख लाख धन्यवाद कहा।

    ब्राह्मण ने कहा “महाराज इस यज्ञ के बाद आपके घर एक बहुत ही सुन्दर और सुशील कन्या का जन्म होगा जो लोगो के दुखो का निवारण करेगी” यह सुन राजा ने कहा “हे ब्राह्मण आप मेरे लिए भगवान के रूप में आए हैं” इसके बाद अगले दिन ब्राह्मण ने यज्ञ की तैयारी शुरू कर दी और यज्ञ बहुत अच्छी तरह समाप्त हो गया और यज्ञ के कुछ दिनों के बाद रानी मां बन गई।

    यह समाचार सुनकर महाराज बहुत प्रसन्न हुए और उन्होंने गाँव के सभी लोगों को खाने के लिए आमंत्रित किया। नौ महीने बाद राजा के घर एक बहुत ही प्यारी बच्ची का जन्म हुआ, यह सुनकर राजा ने गांव के सभी ब्राह्मणों को अपने महल में बुलाया और उन्हें भरपेट खाना खिलाया।

    सभी ब्राह्मणों ने कन्या को आशीर्वाद दिया और उसका नाम रुक्मणी रखा गया। तब ब्राह्मण शंकर ने आकर कहा, “महाराज, आपकी बेटी कोई साधारण लड़की नहीं है, वह लोगों की भलाई के लिए पैदा हुई है।” राजा ने कहा “हे ब्राह्मण, यह सब आपकी कृपा से हुआ” तब ब्राह्मण ने कहा कि आपकी बेटी पर बहुत खतरा मँडरा रहे हैं। जब तक आपकी पुत्री 18 बर्ष के नहीं हो जाति तब तक उसके सर पर कालि शक्ति का डेरा जमा रहे गा, इसका ध्यान रखे”।

    यह सुनकर राजा बहुत चिंतित हो गए, राजा ने कहा, “तो क्या इसका कोई उपाय है” ब्राह्मण ने कहा, “मैं अभी नहीं जनता में ध्यान करके कोशिश करूंगा ताकि मैं इसका कोई हल ढूंढ सकूं” यह कहकर ब्राह्मण वहाँ से चले जाते हैं। और रुक्मणी धीरे-धीरे बड़ी हो रही थी और वह बहुत सुंदर भी, अपने पिता को लोगों की मदद करते देख वह भी चाहती थी कि मैं लोगों की मदद करूं और राजकुमारी अपने पिता की तरह लोगों की मदद करने लगी।

    जैसे-जैसे राजकुमारी बड़ी हो रही थी, राजकुमारी का खतरा बढ़ता जा रहा था, एक दिन राजकुमारी को अजीबो और गरीब सपने आने लगे और राजकुमारी ने अपने माता-पिता से जा कर कहा “माँ, आज मुझे बहुत डरावने सपने दिखाई दे रहे है”। यह सुन राजकुमारी के माता-पिता बहुत परेशान हो गए और राज महल के पहरेदारों को आदेश दिया कि वह केलाश जाकर ब्राह्मण शंकर को खोज कर लाए.

    जब महल के पहरेदार केलाश पहुंचे तो उन्हें पता चला कि ब्राह्मण शंकर की मृत्यु हो गई है। जब राज़ा को इस बात का पता चला तो राज़ा बहुत चिंतित हो गए और उन्होंने अपनी पत्नी से कहा कि “अब क्या होगा मेरा पुत्री का संकट का निवारण कौन करेगा” तब एक जादूगरनी उसके घर आई और राज़ा से कहा कि मैं तुम्हारा समस्या का समाधान करना चाहता हूं।

    राजा ने कहा कि “आप हमारी मदद क्यों करना चाहते हैं, इसके पीछे एक रहस्य है” जादूगरनी ने कहा, “आपकी बेटी कोई साधारण व्यक्ति नहीं है, वह एक दिव्य शक्ति के साथ पैदा हुई है, केवल आपकी बेटी ही हमारी रक्षा कर सकती है।” राजा ने स्पष्ट रूप से सहमति नहीं दी और कहा कि “मेरी बेटी किसी की रक्षा नहीं करेगी, तुम कृपा करके चले जाओ”

    यह सुन जादूगरनी बहुत निराश हो गई और महाराज से कहा “ठीक हैं महाराज, मैं आपको एक जादुई बिस्तर दूंगा यदि आपकी पुत्री उस बिस्तर में सोती हैं तो आपकी पुत्री पर कोई संकट नहीं आएगा” और वह बिस्तर जादूगरनी महाराज को दे देती है और राजकुमारी की परेशानी खत्म हो जाती है. अब राजकुमारी बहुत खुश हुई और अपना जीवन अच्छे से बिताने लगी।

    Story Jadui Kahani, इस कहानी से सीख: Jaadui Bed से यह सीख मिलती हैं की चाहे कोई भी परेशानी हो, उससे घबराना नहीं हैं बल्कि परेशानी का सामना साहस और धेर्य से करनी चाहिए. इससे आपकी परेशानी का हल निकल सकता हैं.

    निष्कर्ष

    बच्चो के लिए Kahani Jadui Kahani Jadui Kahani बहुत ही मजेदार होती है. यदि आप इस Kahani Jadui Kahani Jadui Kahani कहानी को अपने बच्चो को सुनाते है तो वे बहुत ही खुस हो जाते है. इसके साथ ही उनको बहुत कुछ सीखने को भी मिल जाता है.

    हमे उम्मीद है की यह Kahani Jadui Kahani Jadui Kahani पसंद आई होगी. यदि ये Moral Kahaniyaa से आपको कुछ सिखने को मिला है या यह Kahani Jadui Kahani Jadui Kahani उपयोगी है तो इसे सोशल मीडिया में शेयर जरुर करे.

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    FAQs

    Q. ये सभी कहानियाँ हमें क्या सिखाती हैं?

    Ans: ये सभी कहानियाँ हमें यह भी सिखाती हैं कि सही रास्ते पर कैसे चलना है और कैसे हम एक अच्छे इंसान बन सकते हैं।

    Q. ये कहानियाँ विशेष रूप से किसके लिए तैयार की गई हैं?

    Ans: ये कहानियां खासतौर पर छोटे बच्चों के लिए तैयार की गई हैं। लेकिन इन कहानियों को कोई भी पढ़ सकता है.

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    लेखक के बारे में

    सूरज बढ़ई

    लिक्स्कार्ट डॉट कॉम में सीनियर डिजिटल कंटेंट प्रोड्यूसर और संस्थापक हैं। खुद की ब्लॉग से करियर की शुरुआत हुई।

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